नई दिल्ली। पति की मौत के बाद महिला को ससुराल में रहने के अधिकार के खिलाफ उसके ससुर की अपील को एक अदालत ने खारिज करते हुए कहा है कि महिला और उसके बच्चों के सिर से छत नहीं छीनी जा सकती।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय गर्ग ने कहा, ‘‘इस बात पर थोडा जोर देने की जरुरत है कि दोनों पक्षों के विवाद पर मुकदमा चल रहा है जिसमें समय लग सकता है। मामले में फैसला आने तक प्रतिवादी (महिला) और उसके बच्चों को उनके सिर पर छत से वंचित नहीं किया जा सकता।
” सत्र अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले में 2014 के एक मजिस्ट्रेटीय अदालत के आदेश को बरकरार रखा जिसमें महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति की मौत के कुछ समय बाद ही उसे उसके ससुर ने बार बार होने वाली लडाई के चलते दो बच्चों के साथ ससुराल से निकाल दिया।
निचली अदालत ने आदेश दिया था कि विकल्प के तौर पर आरोपी को विधवा महिला को किराये के खर्च के तौर पर 3000 रपये प्रति महीने देने होंगे।
सत्र अदालत ने कहा, ‘‘महिला अपने पति के जीतेजी उसके घर में रह रही थी, इस तथ्य पर विचार करते हुए निचली अदालत ने यह सही निर्देश दिया था कि घर में उस हिस्से पर महिला का कब्जा बहाल किया जाए जहां वह पहले रहती थी।” दक्षिण पश्चिम दिल्ली निवासी महिला के ससुर ने अपनी अपील में दलील दी थी कि उसकी पुत्रवधू को बेटे की मौत के बाद उसके घर में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।