नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय और अन्य के पेरोल को 200 करोड रपए के भुगतान की शर्त पर 24 अक्तूबर तक बढा दिया। न्यायालय ने साथ में यह भी कहा कि सहारा ने पहले उसे ‘चराने की कोशिश की है’ और वह अब बाहलफ ब्योरा दाखिल करे कि सेबी को 12,000 करोड रपए का भुगतान कैसे करेगा।मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सहारा ने ‘हमें चराने की कोशिश की। समूह ने पूर्व में यह नहीं बताया कि सेबी को बिक्री के लिये दी गयी 60 संपत्ति की सूची में से 47 संपत्ति हैं ।
पीठ ने कहा, ‘‘आपने सेबी को दी सूची में पहले से कुर्क वाली संपत्ति भी दिखाकर हमें चराने की कोशिश की। हमारा आप पर विश्वास नहीं रहा। आप हलफनामें में हमें कुछ ठोस प्रस्ताव…रुपरेखा : योजना दीजिए कि कैसे और किस तरीके से आप शेष 12,000 करोड रपये देंगे।” पीठ में शामिल अन्य न्यायाधीश ए आर दवे और न्यायाधीश ए के सिकरी हैं.”न्यायालय ने यह बात सहारा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के इस कथन के बाद कही कि राय को शेष राशि सेबी को भुगतान करने के लिये डेढ साल दिया जाना चाहिए। अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मुझे डेढ साल का समय दीजिए और जिस तरीके से भी हम चाहते हैं, बेचने की अनुमति दीजिए। कोई शर्त मत रखिये। मैं बिना कोई शर्त यह हलफनामा देने को तैयार हूं कि मैं पूरी राशि डेढ साल में सेबी को दे दूंगा।