मुंबई । सायरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद मिस्त्री और टाटा ग्रुप, दोनों पक्षों की ओर से कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। एक तरफ जहां सायरस मिस्त्री ने रतन टाटा और टाटा ग्रुप के खिलाफ कैविएट्स दाखिल किए हैं वहीं टाटा ग्रुप की तरफ से भी कैविएट्स फाइल किए गए हैं।
सायरस मिस्त्री की तरफ से नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में चार कैविएट्स दाखिल किए गए हैं। ये रतन टाटा, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट के खिलाफ दाखिल किए गए हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, मिस्त्री ने इन चार में से तीन कैविएट्स रतन टाटा, टाटा सन्स और सर दोराबजी ट्रस्ट के खिलाफ दाखिल किए हैं। चौथा कैविएट सायरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से रतन टाटा और टाटा सन्स के खिलाफ दाखिल किया गया है।
टाटा ग्रुप की तरफ से भी मिस्त्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है। ग्रुप ने मिस्त्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में कैविएट्स दाखिल किए हैं। ये कैविएट्स इसलिए दाखिल किए गए हैं ताकि सायरस मिस्त्री अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कोई अदालती आदेश उनके (टाटा के) पक्ष की सुनवाई के बिना हासिल नहीं कर सकें।
उधर, टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी हिस्सेदार कंपनी शापूरजी पालोनजी की तरफ से कहा गया है कि वह ‘विभिन्न परिस्थितियों’ को लेकर अध्ययन कर रही है और फिलहाल इस फैसले के खिलाफ कानूनी कारवाई के बारे में उसने कोई फैसला नहीं लिया है। शापूरजी ने कहा है कि वह जो भी रास्ता अपनाएगी और जब भी जरूरी होगा, इस बारे में बयान जारी किया जाएगा।
इसलिए टाटा ने सायरस मिस्त्री की छुट्टी?
शापूरजी ने कहा, ‘न तो शापूरजी पालोजनी समूह और न ही सायरस मिस्त्री ने अभी कोई वक्तव्य दिया है। परिस्थितियों की समीक्षा की जा रही है। मीडिया में कानूनी कार्रवाई को लेकर चल रही अटकलों का फिलहाल मौजूदा स्थिति में कोई आधार नहीं है। जब भी सार्वजनिक बयान देने की जरूरत होगी, उस समय ऐसा किया जायेगा।’