नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच 56 वर्ष पुरानी ‘इंडस वॉटर ट्रीटी’ (सिंधु नदी समझौता) की समीक्षा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की। प्रधानमंत्री निवास 7-लोक कल्याण मार्ग पर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत-पाकिस्तान के बीच 19 सितम्बर 1960 में हुए इस समझौते की समीक्षा की गई। इस बैठक में सिंधु जल समझौते को लेकर सरकार का सख्त रुख दिखाई दिया। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर, जल संसाधन सचिव एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
25 वर्षों से पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को दे रहा बढ़ावा-
विशेषज्ञों का कहना है भारत को अधिक उदारता न दिखाकर इस समझौते को रद्द कर देना चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा पाकिस्तान 25 वर्षों से भी ज़्यादा समय से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। भारत को भी अधिक उदारता न दिखाकर इस समझौते को रद्द कर देना चाहिए। चीन का उदाहरण देकर यशवंत सिन्हा ने कहा, उसने तो अंतर्राष्ट्रीय राय की भी परवाह नहीं की और दक्षिण चीन सागर के विषय पर ट्रिब्यूनल के आदेश को भी नहीं माना। उन्होंने कहा, पाकिस्तान शिमला समझौते को नहीं मानता, आतंकवाद से बाज नहीं आता तो भारत को भी थोड़ी सख्ती बरतनी चाहिए।
कब हुआ था समझौता
सिंधु जल समझौता पर सितंबर 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे। इस समक्षौते के तहत छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और क्षेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया था।
रद्द कर देना चाहिए संधि –
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था कि इस समझौते को जीवित रखने के लिए दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध होना अनिवार्य है। उरी में आतंकी हमले के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि संभवतः भारत इस समझौते को रद्द कर दे। यह भारत का पाकिस्तान को एक क़रार जवाब होगा।
इस समझौते को रद्द करने के लिए जम्मू और कश्मीर से समय-समय पर मांग उठती भी रही है। जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कोझिकोड में शनिवार को कहा था कि इस विषय में केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, राज्य सरकार उसका पूरा समर्थन करेगी। राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने भी कई बार इस समझौते को रद्द करने की मांग की थी। उनका कहना था कि इस संधि से जम्मू-कश्मीर के लोगों को भारी हानि हुई है क्योंकि उनको उतना पानी नहीं मिलता जितना मिलना चाहिए और सारा पानी पाकिस्तान चला जाता है। अपने कोझिकोड भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ शब्दों में कहा था कि भारत उरी आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय सेना के 18 जवानों को भूलेगा नहीं। ”इंडस वाटर ट्रीटी” के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों सिंध, झेलम, ब्यास, रावी, सतलुज और चिनाब के पानी के बटवारे पर समझौता हुआ था। यह समझौता विश्व बैंक की देख-रेख में हुआ था। इस समझौते पर इसलिए हस्ताक्षर हुए थे क्योंकि सिंधु बेसिन से आनी वाली सभी नदियां भारत में हैं। बाद में एक स्थायी इंडस वॉटर समिति बनाई गई जो दोनों देशों के बीच पानी को लेकर किसी भी विवाद को सुलझा सके।
भारत बना सकता है ” रिजर्वोयर” –
इस समझौते के तहत ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है और सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान। भारत इन पाकिस्तान में जाने वाली नदियों पर पानी एकत्रित करने के लिए रिजर्वोयर बना सकता है जो अभी तक भारत ने नहीं किया। भारत सात लाख एकड़ ज़मीन की सिंचाई कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु समझौते के तहत भारत केवल 20 प्रतिशत पानी इस्तिमाल कर सकता है। भारत झेलम और चेनाब नदियों पर दो बांध बनाना चाहता था जिससे पाकिस्तान में पानी की कमी हो जाती। परंतु पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में इसका विरोध किया था।