सुप्रीम कोर्ट आज सीबीआई अफसरों द्वारा कथित रूप से की गई रिश्वतखोरी के मामले से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई कर रहा है. दरअसल, केंद्र सरकार ने देश की प्रमुख जांच एजेंसी में सार्वजनिक विश्वास को बहाल करने के लिए मामले की जांच पूरी होने तक सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी दे दी थी, जिसके विरोध में अलोक वर्मा ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करते हुए कहा था कि सरकार का ये आदेश अवैध है, आज सुप्रीम कोर्ट सरकार के इसी फैसले की जांच कर रहा है कि सरकार का ये फैसला सही है या नहीं.

अदालत द्वारा वरिष्ठ रैंकिंग अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर भी ध्यान देने की संभावना है, वकील प्रशांत भूषण ने राकेश अस्थाना समेत सभी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच की मांग की है. राकेश अस्थाना का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा: “यह सिर्फ एक और मामला है. इसके बारे में क्या बड़ा है? यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना आप सोचते हैं”. अस्थाना ने भी वकील अमित आनंद चौधरी द्वारा याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को चुनौती दी है.

सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा की ओर से वकील एस नरीमन तर्क कर रहे है. नवीनतम रिपोर्टों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ सीवीसी जांच की अनुमति दी, अदालत ने सुझाव दिया कि अदालत की निगरानी की जांच 10 दिनों के भीतर समाप्त होनी चाहिए, इसके बाद, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रूप में अधिक समय मांगा है. वहीं मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई न कहा है कि आलोक वर्मा कि जगह कार्यकारी निदेशक बनाए गए नागेश्वर राव मामले की अगली सुनवाई पूरी होने तक सीबीआई की पालिसी के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लेंगे. 
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