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अखंड बिहार का दूसरा देवघर ‘बाबा गरीबनाथ धाम’

unnamed (6)मुजफ्फरपुर। अखंड बिहार का दूसरा देवघर कहा जाने वाला मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों से श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है। मनोकामना लिंग के रूप में भक्तों के बीच ख्याति पाए बाबा की महिमा की प्रसिद्धि हर साल बढ़ती ही जा रही है। सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़ियों का जत्था लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा का जलाभिषेक करते हैं।  मंदिर के मुख्य पुरोहित पंडित विनय पाठक की माने तो हर वर्ष यहाँ के श्रद्धालुओं की संख्या में पच्चीस से तीस हजार की बढोतरी हो रही है। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है। भक्तों में बाबा के प्रति श्रद्धा ऐसी है कि हर साल कांवड़ियों की संख्या में 10 से 15 फीसदी इजाफा हो रहा है। 

ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा गरीबनाथ धाम का तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है लेकिन मिले दस्तावेज के अनुसार 1812 ई. में इस स्थान पर छोटे मंदिर में बाबा की पूजा-अर्चना होती रही थी। मान्यता है कि पीपल के 7 पेड़ यहां के घने जंगल में थे। पेड़ की कटाई के समय अचानक खून जैसे लाल पदार्थ निकलने और विशालकाय शिवलिंग के मिलने के बाद जमीन मालिक को रात में बाबा ने स्वप्न में दर्शन दिया जिसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना की जाने लगी।
मान्यता है कि बेहद ही गरीब आदमी के बेटी के विवाह के लिए घर में कुछ भी नहीं था, लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई तबसे से लोगों के बीच गरीबनाथ धा्म के रूप में बाबा की प्रसिद्धि हुई।
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