उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी में पिछले 24 घंटों से रुक-रुक कर भूकंप के झटके आ रहे हैं. इनमें सोमवार रात करीब साढ़े 10 बजे आया भूकंप का झटका काफी तबाही ला सकता था. इस भूकंप का केंद्र जमीन के काफी नीचे था. इसी एक वजह से भूकंप की वजह से होने वाली बड़ी तबाही टल सकी. गौरतलब है कि 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में रुद्रप्रयाग में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी. इन दोनों का केंद्र सतह से बहुत नीचे नहीं था.
सोमवार रात 10 बजकर 33 मिनट 8 सेकेंड पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में जमीन से 33 किलोमीटर नीचे था. पिछला तेज भूकंप जो दून समेत समूचे उत्तराखंड में महसूस किया गया था, वह 25 अप्रैल 2016 को नेपाल में तबाही मचा गया था.
उत्तराखंड में इसके पहले 20 अक्तूबर 1991 और फिर 28 मार्च 1999 की रात भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी. रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता क्रमशः 6.8 और गहराई 11.6 थी. चमोली भूकंप की तीव्रता 6.8 और गहराई 21 किलोमीटर थी. इन दोनों भूकंपों में सैकड़ों लोगों की जान गई थी.
6 फरवरी को रूद्रप्रयाग में आए भूकंप की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 5.8 और केंद्र जमीन के 33 किलोमीटर नीचे था. तुलनात्मक रूप से देखें तो पहले के दोनों भूकंपों की गहराई कम थी. उत्तरकाशी भूकंप की गहराई काफी कम थी, इसलिए उसमें ज्यादा जाने गईं थी.
6 फरवरी को आए भूकंप का केंद्र काफी गहराई यानी जमीन से 33 किमी नीचे था. इसी लिए सतह तक आते-आते काफी एनर्जी एबजॉर्ब हो गई. यही वजह है कि पिछली रात के भूकंप के दौरान बड़ी तबाही टल गई.
विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी हिमालय बेल्ट भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील मानी जाती है. उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के भूकंप के पूर्व हिमालय क्षेत्र कईं बड़े भूकंप आए.
इन बड़े भूकंपों से हिल उठा हिमालय
#1950 में अरूणाचल-तिब्बत में 8.5 तीव्रता के भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई थी.
#1934 में बिहार-नेपाल बॉर्डर पर 8.3 तीव्रता वाला जलजला.
#1905 में कांगड़ा में 8.5 तीव्रता के भूकंप ने तो हजारों जानें लील ली थी.
#1897 में असम में रिक्टर पैमाने पर 8.7 तीव्रता का भूकंप. इसमें करीब डेढ सौ लोगों की जान गई थी.
बेशक यें सभी रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता से ज्यादा वाले भूकंप हैं. विशेषज्ञों को आशंका है कि हिमालय में कभी भी 8 या उससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. ऐसा हुआ तो पूरे उत्तरभारत को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.