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उत्तराखंड सरकार का खेल पुरस्कारों में भी खेल

uttarakhand-government-logo-768x650देहरादून। उत्तराखंड सरकार खेल पुरस्कारों में भी खेल कर रही है। अब यह मामला राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से उप सचिव जेजी सुब्रह्मण्यम ने अन्तर्राष्ट्रीय कोच पवन कुमार शर्मा को एक पत्र लिखकर कहा है कि 8 जून के प्रतिवेदन को मूल रूप से मुख्य सचिव उत्तराखंड को भेज दिया गया है और संबद्ध विभागों को इस पर त्वरित कार्यवाही का निर्देश दिया गया है। राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति भवन के ओएसडी अभिजीत राय द्वारा भी इस मामले का संज्ञान लिया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा खेल पुरस्कारों में कैसा खेला किया जा रहा है इसका जीता जागता प्रमाण सूचना अधिकार के तहत प्राप्त एक सूचना है। भारत सरकार द्वारा खेल पुरस्कारों के लिए 29 अप्रैल तक आवेदन मांगे गए थे,लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा जो आवेदन अग्रसरित किये गए। उनमें उत्तराखंड के 10 नाम भी शामिल हैं। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत केन्द्रीय ख्ेालमंत्रालय द्वारा जो जानकारी दी गई है उसके तहत शिव प्रताप सिंह तोमर, अपर सचिव एवं जन सूचना अधिकारी भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रलाय शास्त्री भवन नई दिल्ली द्वारा जो जानकारी दी है वह इस बात की पोल खोलती है कि सरकार खेल पुरस्कारों में भी खेल कर रही है। श्री तोमर ने इस पत्र की प्रतिलिपि महिताब सिंह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी उपराष्ट्रपति सचिवालय को भी भेजी गई है अपने पत्र में श्री तोमर ने लिखा है कि आरटीआई पत्र 7 जून 2016 जो उपराष्ट्रपति सचिवालय से भेजा गया है के तहत राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की अन्तिम तिथि 29 अप्रैल मानी गई है।
पत्र में लिखा गया है कि द्रोणाचार्य पुरस्कार हेतु आवेदन पत्र उत्तराखंड शासन द्वारा 2 मई 2016 को प्राप्त हुआ है। जिसके कारण इस आवेदन पत्र को स्वीकार नहीं किया गया है। मामला खेल पुरस्कारों से जुड़ा हुआ है इसलिए इसमें बड़ा खेल होने की संभावना जतायी जा रही है, जबकि उत्तराखंड शासन की ओर से तत्कालीन प्रभारी सचिव शैलेष बगोली द्वारा 26 अप्रैल 2016 को राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार, राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार तथा तेनजिंग नार्गे नेशनल एडवेंचर एवार्ड के प्रस्ताव भेजे गए थे। इनमें पहला नाम साबिर हुसैन सलमानी नई बस्ती गोपाल मंदिर बनभूलपुर हल्द्वानी का नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए भेजा गया था। इसी प्रकार द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए पहला नाम पवन कुमार शर्मा २८ पार्क रोड अभयमठ लक्ष्मण चैक देहरादून का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए भेजा गया। अर्जुन पुरस्कार के लिए दो नाम भेजे गए जिनमें साबिर हुसैन सलमानी तथा निष्ठा पैन्यूली 82 कृष्णनगर देहरादून का नाम शामिल है। साबिर हुसैन सलमानी का नाम ध्यानचन्द पुरस्कार के लिए भी भेजा गया। इसी प्रकार राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए अंजलि जोशी हल्द्वानी, अभिषेक जोशी हल्द्वानी, प्रखर कोठारी हल्द्वानी तथा शंकर प्रसाद भट्ट उत्तरकाशी का नाम शामिल है। तेनजिंग नार्गे नेशनल एडवेंचर एवार्ड के लिए रामचन्द्र भारद्वाज बसंत विहार देहरादून का नाम भेजा गया था इसे बड़ी चूक कहेंगे या जानबूझकर कोई शरारत यह ना समय से ना भेजकर देरी से भेजे गए जिसके कारण 29 अप्रैल की तिथि अन्तिम तिथि के रूप में घोषित थी तक यह पत्र नहीं पहुंचे। इस पत्र पर उत्तराखंड सरकार की ओर से भेजे गए 26 अप्रैल की तिथि तो अंकित है, लेकिन कहीं न कहीं इसे भेजने में देरी हुई है जिसके कारण उत्तराखंड के खिलाडियों को इस खेल सम्मान पुरस्कारों में शामिल नहीं किया गया। उत्तराखंड शासन के पत्रांक संख्या 335 के माध्यम से भेजे गए ये पत्र कैसे और क्यों देरी से पहुंचे हैं इस विभाग का कोई व्यक्ति मुंह खोलने को तैयार नहीं हो रहा है।
अभी पूरी जानकारी नहीं हैरू दिनेश अग्रवाल-

इस संदर्भ में विभागीय मंत्री दिनेश अग्रवाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि ऐसा नहीं होना चाहिए समय से ही सारे काम होते हैं, लेकिन केन्द्रीय खेल पुरस्कारों के लिए यदि समय से नाम नहीं पहुंचे है तो इसके लिए जानकारी प्राप्त करेंगे तभी कोई टिप्पणी करेंगे खेलमंत्री का कहना था कि इन प्रक्रियों का पहले ही पूरा किया जाता है, लेकिन ऐसा क्यों हुआ है वे जानकारी लेकर ही बता सकेंगे।

सम्मान में साजिश हो सकती हैः पवन कुमार शर्मा
देहरादून के अन्तर्राष्ट्रीय कुश्ती कोच पवन कुमार शर्मा मानते हैं कि निश्चित रूप से इस मामले में कहीं न कहीं कोई खेल खेला गया है। उनका कहना है कि सत्यव्रत कादियान, योगेश्वर दत्त, यशपाल, शिल्पी सिरोड़ जैसे बड़े पहलवान हमारे शिष्य हैं,लेकिन अब तक हमारे नाम को भेजने में देरी की गई जो किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है। उनका कहना है कि हमने पहले ही अपना नाम अपने दस्तावेज शासन को जमा करा दिये थे। सरकार ने कब भेजा और क्या भेजा वह जाने, लेकिन यहां के कई ऐसे प्रमुख लोग हैं, जो इस पुरस्कार के हकदार है।

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