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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव का स्वागत किया

नई दिल्ली। राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारे में भी हलचल तेज हो गई है। सु्प्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि इस मसले का हल आपसी बातचीत से निकाला जाए, वह मध्यस्थता करने तो तैयार है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। भाजपा ने भी इसे एक अच्छा रुख बताया है। आरएसएस ने भी फैसले का स्वागत किया है।

बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यस्थता तभी संभव है जब दोनों पक्ष उसमें शामिल हों। उनके अनुसार बीजेपी ने हमेशा यह कोशिश की है कि बातचीत से मसला हल हो। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह राजनीतिक मसला नहीं है बल्कि लोगों की आस्था से जुड़ा विषय है। इस बीच कानून मंत्री पीपी चौधरी ने भी इस फैसले का स्वागत किया है।

उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि पहले से ही बार-बार कहा जा रहा है कि आपसी सहमति या माननीय अदालत ही इस मुद्दे का हल करे। उनके अनुसार, अदालत को ही निर्णय करना है। अखिलेश ने कहा कि अदालत या तो फैसला दे या मिल-बैठ कर निपटारा कर लें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत की पहल कौन करेगा, यह बड़ा सवाल है। उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वे फैसले को पढ़ने के बाद ही पूरी तरह से इस मसले पर कुछ कह पाएंगी।

उधर, दारुल उलूम समेत कई उलमा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ही इस मसले पर निर्णय लेने का अधिकार है। अब इस मसले पर समझौते की बातचीत का कोई औचित्य नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुना देना चाहिए। दूसरी तरफ, मुस्लिम धर्मगुरु उमर इलियासी ने भी कहा कि यह मसला कई सालों से लंबित है। ऐसे में यदि दोनों पक्षों को ध्यान में रखकर कोई समाधान निकलता है तो यह काफी अच्छा कदम होगा।

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