Thursday , December 5 2024

प्रियंका व सिंधिया को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी गई

इंडियन नेशनल कांग्रेस में महासचिव के पद पर प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम घोषित होते ही उत्तर प्रदेश के साथ देश के राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई है। पार्टी में पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव का पद मिलने के बाद अब प्रियंका गांधी वाड्रा चार फरवरी को लखनऊ में अपना कार्यभार ग्रहण करेंगी। कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही उनकी सक्रियता बढ़ जाएगी।

प्रियंका गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रख दिया है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल स्पष्ट रूप से कह दिया कि प्रियंका व सिंधिया को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह लोग अपने मिशन में लग जाएं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने अकेले ही उत्तर प्रदेश के मैदान में उतरने का मन बना लिया है। इनके सामने भाजपा के साथ सपा-बसपा गठबंधन के मजबूत संगठन और सामाजिक समीकरण के चक्रव्यूह को भेदने के लिए प्रियंका को अभिमन्यु से भी कहीं ज्यादा मारक रणनीति और सियासी कौशल दिखाना होगा। प्रियंका ने इसी कारण अपनी पारी का आगाज करने के लिए दिल्ली की बजाय उत्तर प्रदेश को धुरी बनाने की रणनीति तय की है। प्रियंका गांधी वाड्रा चार फरवरी को लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आकर आधिकारिक तौर पर कांग्रेस महासचिव के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालेंगी।

प्रियंका गांधी के सामने चुनौतियों के चक्रव्यूह की यह गंभीरता ही है कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लखनऊ में 4 फरवरी को उनके साथ मौजूद रहेंगे। इसके बाद राहुल-प्रियंका की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी होगी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय में प्रियंका अपना कामकाज संभालने के बाद सूबे के नेताओं-कार्यकर्ताओं से रूबरू होंगी। इसके बाद प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के दौरे शुरू करेंगी। अपने दौरे के पहले चरण में हर जिले के बूथ स्तर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से प्रियंका के सीधे संवाद करने की रूपरेखा बनाई जा रही है।

कांग्रेस की नजर भले सूबे की 80 लोकसभा सीटों पर प्रियंका के करिश्मे से कमाल करने पर टिकी हों पर संगठन की कमजोर सेना इसमें बड़ी चुनौती है। चुनाव तक दो-ढाई महीने के इस कम समय में प्रियंका पार्टी संगठन के कमजोर ढांचे की कायापलट नहीं कर सकतीं। फिलहाल माथापच्ची करने की बजाय प्रियंका गांधी सीधे कार्यकर्ताओं से सीधे रूबरू होंगी। कांग्रेस का आकलन है कि प्रियंका से सीधे संवाद कार्यकर्ताओं को मुकाबले में खुद को झोंकने का उत्साह देगा और इसी के सहारे पार्टी चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाएगी। मगर पार्टी और प्रियंका के लिए दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि भाजपा और सपा-बसपा दोनों की ओर से कांग्रेस के इस ब्रह्मस्त्र को थामने का दांव अभी सामने आना बाकी है।

प्रियंका के आने को लेकर भाजपा के तमाम दिग्गजों की आक्रामक प्रतिक्रिया से पार्टी की बेचैनी साफ दिख रही है। ऐसे में तय माना जा रहा कि कांग्रेस की इस सियासी ब्रह्मस्त्र की गति को मंद करने के लिए भाजपा की ओर से भी जवाबी रणनीतिक दांव चला जाएगा। जिसे थामना प्रियंका के लिए बड़ी चुनौती होगी। इससे इन्कार नहीं किया जा रहा कि भाजपा अयोध्या मंदिर मुद्दे को केंद्र में लाकर कांग्रेस व प्रियंका को घेरने की कोशिश कर सकती है। प्रियंका के सियासत में आने से मची हलचल पर सपा-बसपा चुप हैं मगर इनकी चुप्पी को कांग्रेस कमजोरी नहीं मान सकती।

कांग्रेस प्रियंका गांधी के दम पर अकेले चुनावी मैदान में उतरती है तो जितना वह भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी उतना ही नुकसान सपा-बसपा का भी होगा। ऐसे में सपा-बसपा जवाबी पलटवार नहीं करेंगी कांग्रेस यह मानने की भूल नहीं करेगी। भाजपा तो पहले से ही प्रियंका के खिलाफ माहौल बनाने में लगी है।  

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com