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बिहार के रास्ते उत्तर प्रदेश में हो रही गोवंश तस्करी

unnamedलखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिहार के रास्ते से गोवंश तस्करी हो रही है और खुफिया विभाग की नजर बिहार से सटे जनपदों बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के जिलों कुशीनगर, महाराजगंज, देवरिया, बलिया, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र के सीमावर्ती चेकपोस्ट से गोवंश तस्करी पर निगरानी की जा रही है।

उत्तर प्रदेश में मध्य जोन के खुफिया विभाग के एक अधिकारी के अनुसार गोवंश तस्करी करने वाले गिरोह काम करते है। इसमें पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक गोवंश बेचे जाते है। उत्तर प्रदेश में भी इस धंधे में कई लोग लगे है। बिहार के रास्ते ही उत्तर प्रदेश में गोवंश तस्करी हो रही है। खुफिया विभाग अपने सूचना तंत्र के माध्यम से लगातार गोवंश तस्करी को रोकने का प्रयास कर रहा है। वहीं चंदौली जनपद के चकिया पुलिस के अनुसार बिहार के सासाराम जनपद से आयेदिन गोवंश तस्करों को क्षेत्र में पकड़ा जाता है। सीमावर्ती इलाके में गोवंश तस्करी करने वाले अक्सर छोटी गाड़ियां उपयोग करते है और उसे ढक कर के अपनी योजना को पूर्ण करते है। सटीक मुखबिरी पर वे पकड़े जाते है और वाहन चेकिंग के दौरान भी इन्हें पकड़ा जाता है।

वाराणसी जनपद के लंका पुलिस की मानें तो राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर टोल के पास चेकिंग के दौरान एक माह में चार से पांच मामलें को गोवंश तस्करी के आते ही है। अधिकांश कर तस्कर अपने वाहनों को चेक कराने से कतराते है तो ऐसे में होने वाली चेकिंग में वे पकड़ जाते है। वहीं चंदौली जनपद से भाग रहे तस्करों के वाहनों को भी कई बार पकडा गया है।
कुशीनगर के कसया थाना पुलिस की मानें तो गोवंश तस्करी का सारा खेल बंगाल से चलता है और इसमें महीने में दो चार मामलें पकड़े ही जाते है। इसके बाद गोवंश को किसी गौशाला में भेज देते है और तस्करों को जेल। देवरिया जनपद के सलेमपुर थाना पुलिस के अनुसार धुंआधार तस्करी हो रही थी। बीते दिनो कई वाहन पकड़े गये तब जा कर थोड़ा गति कम हुई है। गोवंश तस्करों का मन इस कदर बढ़ा हुआ है, जैसे अधिकारी का चपरासी। बिहार के रास्ते घुसने के बाद कई बार शार्टकट रास्ते से निकलने का प्रयास भी ये करते है। सूचना मिलने पर घेरेबंदी कर के पकड़ा जाता है। सोनभद्र जनपद के राबर्टगंज थाना पुलिस के अनुसार समुचे मामले में तस्करी करने वाले रात के अंधेरे का प्रयोग करते है। रात्रि पहर ही गाड़ियां निकाली जाती है। अगर गोवंश तस्करी की सूचना पुलिस को मिलती है तो कार्यवाही की जाती है। पुलिसिंग करते हुये भी अक्सर ही तस्कर पकड़ाते है। इस जनपद की सीमा बिहार, मध्यप्रदेश से छूती है और गोवंश तस्कर बिहार से मध्यप्रदेश जाने के लिये अक्सर सोनभद्र के मार्गो का प्रयोग करते है।

बता दें कि वर्ष 2016 के जनवरी से अभी तक उत्तर प्रदेश में 52 छोटे बड़े मामलें गोवंश तस्करी के प्रकाश में आये है। इसमें अधिकांश मामलों में गोवंश तस्करों को वाहन सहित गिरफ्तार किया गया है। वहीं कुछेक जगहों से तस्कर भागने में कामयाब रहे है और गोवंश से भरी गाड़ियां ही बरामद हो सकी है।

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