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भारत एनएसजी में हर हाल में होगा शामिल :अमेरिका

1961790945_nsgनई दिल्ली। एनएसजी में अमेरिका की लाख कोशि‍शों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरसक प्रयासों के बावजूद भारत को एंट्री नहीं मिली. चीन के नेतृत्व में सात देशों ने सोल की बैठक में भारत का विरोध किया. इस असफलता के लिए अमेरिका ने चीन को न सिर्फ खरी-खरी सुनाई है, बल्कि‍ एक हफ्ते के बाद उसने यहां तक कहा कि सिर्फ चीन के कारण हिंदुस्तान एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाया.अमेरिका ने कहा कि वह एनएसजी समूह में भारत को शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही उसने कहा कि बस एक देश के कारण इस पर बनी अंतरराष्ट्रीय सहमति को नहीं तोड़ा जा सकता और जोर दिया कि ऐसे सदस्य को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने कहा, ‘अमेरिका एनएसजी में भारत का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. अमेरिका के इस शीर्ष राजनयिक ने ‘दुख’ जताया कि सोल में पिछले हफ्ते समूह की सालाना बैठक में उनकी सरकार भारत को सदस्य बनाने में सफल नहीं रही. हम मानते हैं कि सहमति आधारित संगठन में एक देश सहमति को तोड़ सकता है, लेकिन ऐसा करने पर उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए न कि अलग- थलग किया जाना चाहिए.’शैनन ने आगे कहा, ‘मेरा मानना है कि हम आगे बढ़ें, भारत और अमेरिका मिल बैठकर विमर्श करें कि सोल में क्या हुआ, राजनयिक प्रक्रिया पर नजर रखें जो महत्वपूर्ण है और देखें कि अगली बार सफल होने के लिए हम और क्या कर सकते हैं.’भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में ‘स्थिरता का वाहक’ बताते हुए अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन जो कर रहा है वह ‘पागलपन’ है और वह चाहता है कि हिंद महासागर में नई दिल्ली बड़ी भूमिका निभाए.विदेश सेवा संस्थान में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि चीन के बढ़ाने पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती है. अमेरिका भारत के साथ काम करना चाहता है ताकि हिंद महासागर में मजबूत और व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई जा सके.परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत को विश्वसनीय और महत्वपूर्ण शक्ति बताते हुए शैनन ने कहा, ‘हम इस बात पर प्रतिबद्ध हैं कि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल हो. हमारा मानना है कि हमने जिस तरह का काम किया है, नागरिक परमाणु समझौता, भारत ने जिस तरीके से खुद को नियंत्रण किया है, वह इसका हकदार है।

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