कोलकाता। पिछले पांच महीनों से भारत-बांग्लादेश सीमांत रेडियो के सिग्नल के माध्यम से सांकेतिक भाषा में संदिग्ध वार्तालाप की जानकारी हैम रेडियो को मिल रही है। केंद्र ने इसकी निगरानी हैम रेडियों के 23 ऑपरेटरों को दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, पिछले जून महीने से ही सुंदरवन और बसीरहाट में बांग्ला और उर्दू भाषा में एक संदिग्ध सिग्नल की जानकारी हैम रेडियो के ऑपरेटरों को मिली। उन्होंने पत्र लिखकर इसकी जानकारी केंद्र को दी। इसके बाद से केंद्र ने हैम रेडियो के 23 ऑपरेटरों को इस पर दिन रात निगरानी रखने के आदेश दिये। वे इस पर अनवरत नजर बनाये हुए हैं। इस बात का संदेह जताया गया है कि जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए आतंकी यह माध्यम अपना सकते हैं।
बंगाल एमेचर रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग विश्वास ने बताया कि यह घटना काफी संदेहजनक है। सिग्नल मिलने के बाद उनसे संपर्क साधने पर उन्होंने वार्तालाप बंद कर दिया औ़र इसके तुरंत बाद ही उन्होंने उर्दू औ़र बांग्ला में वार्तालाप शुरू कर दिया।
उन्होंने बताया कि जो लोग रेडियो फ्रीक्वेंसी से संकेतों का आदान-प्रदान कर रहे हैं, उनकी बातों में बांग्लादेशी भाषा का टोन है। मामले के प्रकाश में आने के बाद इसकी जानकारी क्लब के अन्य सदस्यों को दे दी गयी है। उन्हें भी इस प्रकार के संदिग्ध सिग्नल मिले हैं। जून महीने से ही इस प्रकार के संदिग्ध सिग्नल मिल रहे थे जो दुर्गापूजा तक चले।
सचिव श्री अंबरीश ने कहा कि मामले के प्रकाश में आने के बाद उन्होंने केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर इस बात से अवगत कराया। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक संस्था के अधिकारियों ने उनके साथ एक बैठक बुलायी। बैठक में उन्होंने सारे दस्तावेज जमा किये। इसके बाद स्रोतों की पहचान करने और इस पर निगरानी का जिम्मा उन्हें सौंपा गया। अंबरीश और उनकी टीम को पता चला है कि इस तरह के संदिग्ध वार्तालाप रात को ही होते हैं।
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