मुंबई । टाटा संस ने आज मिस्त्री पर एक के बाद एक लगातार कई गंभीर आरोप लगाए। टाटा संस की ओर से जारी बयान में यहां तक कहा गया कि मिस्त्री अपने 3-4 साल के कार्यकाल के दौरान सत्ता हथियाने पर ही दिमाग लगाते रहे।
क्या कहा टाटा संस ने…
टाटा संस ने कहा कि साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुनने के लिए 2011 में बनाई गई सिलेक्शन कमिटी को गुमराह किया।
मिस्त्री ने टाटा ग्रुप के लिए योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े बयान दिए, लेकिन वादे के मुताबिक इसके लिए प्रभावी प्रबंधन ढांचा और योजना नहीं दी।
मिस्त्री ने वादे के मुताबिक खुद को अपने परिवारिक उपक्रम शापूरजी पालोनजी ऐंड कंपनी से अलग नहीं किया।
मिस्त्री के प्रतिबद्धता से मुंह मोड़ने से ही निजी हितों से अछूते रह कर टाटा समूह का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को लेकर चिंता पैदा हुई।
मिस्त्री के कार्यकाल में ग्रुप कंपनियों (टीसीएस को छोड़कर) की आय लगातार कम हुई और स्टाफ पर खर्चा दोगुने से भी ज्यादा हो गया।
मिस्त्री ने धीरे-धीरे सभी अधिकार और शक्तियां अपने हाथ में कर लीं और व्यापक पैमाने पर समूह की कंपनियों के निदेशक मंडों में टाटा संस के प्रतिनिधित्व को हल्का किया।
मिस्त्री कहते हैं कि उन्हें काम करने की खुली छूट नहीं दी गई। लेकिन, विडंबना यही है कि उन्होंने इसी आजादी का इस्तेमाल मैनेजमेंट स्ट्रक्चर को कमजोर करने में किया।