लखनऊ। विवाह बंधन में बंधने के साथ ही राहुल गांधी पर दोहरी जिम्मेदारी आने वाली है। परिवार के बोझ के साथ-साथ उन पर करीब 131 बरस पुरानी कांग्रेस पार्टी का भार भी उनके कंधो पर डाला जाएगा। बीती 20 जून से छुट्टी पर विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी के लौटने का इंतजार अब खत्म हो चुका है और जल्द ही कांग्रेसियों को दोहरी खुशखबरी मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि राज्यों में लगातार गिर रही सियासी हैसियत को फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस अब पूरी च्च्ओवरहालिंगज्ज् के लिए तैयार है। इसके लिए जहां कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपने की तैयारी है तो प्रियंका गांधी को भी पूरी तरह से सक्रिय करने का मन बनाया जा चुका है। बताया जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले, आगामी एक-दो महीनों में ही
कांग्रेस के इस च्च्मेकओवरज्ज् को अंजाम तक पहुंचा देगी।
कांग्रेस की परंपरा में भी हमेशा दो ताकतें मिलकर ही नेतृत्व करती रही है। जवाहर लाल नेहरू के साथ युवा इंदिरा गांधी का समन्वय, इंदिरा गांधी के साथ पहले पुत्र संजय गांधी का और 1980 में उनकी मृत्यु के बाद राजीव गांधी का। राजीव के साथ सोनिया कदम दर कदम चलती रही। 1991 में राजीव गांधी की निधन के बाद सोनिया अकेली हो गयी, बाद में राहुल-प्रियंका ने उन्हें सहारा दिया।
अब जब राहुल को बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है तो प्रियंका सपोर्टिंग भूमिका में होंगी।
दरअसल कई राज्यों में लगातार सिकुड़ते जनाधार ने कांग्रेस की पैन इंडिया छवि पर असर पड़ते देख चिंतित पार्टी के रणनीतिकारों ने अब पार्टी को पूरी तरह से च्च्यूथ मोडज्ज् में डालने का फैसला कर लिया है। पार्टी का मानना है कि मौजूदा समय में सबसे ज्यादा वोट युवाओं का है और यही वह वर्ग है जो चुनाव में पूरे उत्साह के साथ वोट डालता है। इस युवा वोटर की अपनी पसंद और नापसंद है और इसे आसानी से बदला नहीं जा सकता है। इसी रणनीति पर काम करते हुए पार्टी अब अपने युवा नेतृत्व को आगे कर रही है और सीनियर नेता उन्हे सपोर्ट करेंगे। इसकी शुरुआत जल्द ही प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने से होगी इसके बाद पार्टी राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक चालू रहेगी। पार्टी अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी आगामी सितंबर माह तक हो जाएगी। इसके लिए जल्द ही एक कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई जा सकती है। यह भी बताया जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में दिनोदिन बढ़ रही प्रियंका गांधी की मांग के दबाव से पार्टी आलाकमान भी इसके लिए राजी हो गयी है। पर वह किसी भी कीमत पर राहुल गांधी का कद कम नहीं करना चाहती है। इसीलिए यह तय किया गया है कि राहुल गांधी केंद्र की राजनीति करेंगे और प्रियंका गांधी को यूपी से सक्रिय राजनीति में लांच किया जाएगा।