नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें को मान ली गई हैं लेकिन इसके बाद विवादों का दौर बढ़-सा गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेसिक पे ढेड़ लाख रुपए है, लेकिन कमीशन की सिफारिशें मामने के बाद कैबिनेट सेक्रेटरी और आर्मी चीफ जैसे बड़े अधिकारियों को मिलने वाला वेतन राष्ट्रपति की बेसिक आय से ज्यादा है। नियमों के मुताबिक, राष्ट्रपति से ज्यादा बेसिक-पे नहीं मिलनी चाहिए। इस वजह से सरकार के सामने से कानूनी अड़चन पैदा हो गई है। दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश के प्रेसीडेंट की बेसिक सैलरी उसी देश के किसी सरकारी कर्मचारी से कम हो गई हो। प्रेसीडेंट देश का सर्वोच्च नागरिक होता है। नियम के मुताबिक उसकी बेसिक सैलरी से ज्यादा किसी सरकारी कर्मचारी को नहीं मिल सकता है। प्रेसीडेंट की मौजूदा बेसिक सैलरी 1.50 लाख रुपए है। 7th पे कमीशन ने कैबिनेट सेक्रेटरी, कैग और आर्मी चीफ के बेसिक को 90 हजार से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए कर दिया है, जो प्रेसीडेंट के बेसिक से एक लाख रुपए ज्यादा है। इन सभी की ज्वाइनिंग लेटर पर राष्ट्रपति की तरफ से नियुक्ति की बात लिखी होती है। ऐसे में नियुक्त हुए ऑफिसर की बेसिक सैलरी नियुक्ति करने वाले (यहां राष्ट्रपति) से ज्यादा नहीं हो सकती है।अब ये परेशानी सामने आने के बाद सरकार के सामने इसको हल करने के दो रास्ते हैं। पहला तो ये कि हाई रैंकर्स अधिकारियों की बेसिक सैलेरी को कम करें (जिसकी संभावना कम ही है)। और दूसरा ये कि राष्ट्रपति की बेसिक सैलेरी को ढाई लाख से ज्यादा बढ़ाया जाए और उसे 1 जनवरी 2016 की बैक डेट से लागू करे। माना जा रहा है कि सरकार राष्ट्रपति की बेसिक सैलरी को बढ़ाने का नोटिफिकेशन जल्द जारी करेगी। ताकि, इस कानूनी उलझन से बच सके।सातवें पे कमीशन के मुताबिक, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नई सैलरी देने से पहले नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। इस नोटिफिकेशन में राष्ट्रपति के साथ-साथ पीएम की बेसिक सैलरी में भी बढ़ोत्तरी का एलान किया जा सकता है। प्रेसीडेंट की बेसिक सैलरी बढ़ने पर उसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया जाएगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेसिक सैलरी 1.60 लाख रुपए है।
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