भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउन्सिलिंग के समय एमपीऑनलाइन के सर्वर में गड़बड़ी का बहाना बना कर मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 30 सितम्बर की प्रवेश के लिए नियत अंतिम तिथि निकाल दी है और अब छात्र-छात्राओं की काउन्सिलिंग होगी या नही, यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। लेकिन इन सबके बीच रविवार दिन भर मध्यप्रदेश के डीएमई और एमपी ऑन लाइन के अधिकारियों के बीच पांच घंटे से ज्यादा हुई चर्चा और उसके बाद रात बारह बजे एमपीऑनलाइन द्वारा मेरिट सूची अपलोड करने ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया हैं।
दरअसल मेरिट सूची अपलोड होना काउन्सिंलिग का ही हिस्सा है और सूची अपलोड होने के बाद ही काउन्सिंलिग शुरु होती है। जिन छात्र-छात्राओं के नाम सूची में आ चुके है उन्हे अब काउन्सिलिंग के मैसेज का इंतजार है लेकिन काउन्सिलिंग तब तक नही हो सकती जब तक सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की उस अपील को स्वीकार न कर ले जिसमें काउन्सिलिंग की तिथि आगे बढाने के पर्याप्त कारण न बताए गए हो। सोमवार को राज्य सरकार इसकी अपील कर रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील स्वीकार नही की तो हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य पर अंधकार छा जाएगा। इस पूरे मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग की भूमिका पूरी तरह संदेह के घेरे में है क्योकि उसे पता था कि मैरिट सूची अपलोड होना भी काउन्सिलिंग का ही हिस्सा है और 30 सितम्बर के बाद अगर काउन्सिलिंग कराना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है तो मैरिट सूची जारी करना भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत होगी।
ऐसे में विरोधी पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने यह दलील दे सकता है कि डीएमई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नही किया लिहाजा राज्य सरकार की काउन्सिलिंग आगे बढाने की अपील को नही सुना जाये। यहां यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या डीएमई को यह नही पता था कि वे 30 सितम्बर के बाद मैरिट सूची जारी कर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत काम कर रहे है या जानबूझकर ऐसा किया गया। अब हजारों छात्र-छात्राये अधर में लटक गए है क्योकि मैरिट में आने के बाद भी काउन्सिलिंग तब तक नही होगी जब तक सुप्रीम कोर्ट अनुमति न दे। बड़ा सवाल यह है कि डीएमई ने एमपी आनलाईन से सूची अपलोड कराने में सोमवार तक का इंतजार क्यो नही किया और रविवार को पांच घंटे की बातचीत में डीएमई और एमपी ऑनलाइन के अधिकारियों के बीच क्या चर्चा हुई।
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