नई दिल्ली। सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन निगम लिमिटेड (सीआईडब्ल्यूटीसी) को भंग करने को मंजूरी दे दी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अंतर्देशीय जल परिवहन निगम लिमिटेड (सीआईडब्ल्यूटीसी) को भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। मंत्रिमंडल की 2014 में हुई बैठक में लिए गए निर्णय में सीआईडब्ल्यूटीसी के कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) को 2015 में लागू किया गया था। सीआईडब्ल्यूटीसी की स्थापना सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम-1956 के तहत 22 फरवरी 1967 में की गई थी। विरासत में मिली बाध्यताओं तथा ढांचागत अड़चनों की वजह से सीआईडब्ल्यूटीसी का परिचालन कभी भी आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं रहा और स्थापना के बाद से ही कंपनी लगातार नुकसान में चल रही है। फिलहाल कंपनी में सिर्फ पांच कर्मचारी ही बचे हैं।सरकार के इस फैसले के मद्देनजर जहां तक हो सकेगा बिमार चल रही केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू) को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जाएगी या सीआईडब्ल्यूटीसी की चल-अचल सम्पत्तियों का निस्तारण करने के बाद इस कंपनी को भंग कर दिया जाएगा। इससे इसकी सम्पत्तियां का अच्छा उपयोग किया जा सकेगा जिसका फायदा लोगों को मिलेगा। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकारण इसकी कुछ सम्पत्तियां का इस्तेमाल राष्ट्रीय जलमार्ग-4 ब्रह्मपुत्र नदी में सेवाओं के लिए कर सकता है।