सुल्तानपुर । एडवोकेट श्याम मुरारी दीक्षित प्रकरण में चार दिनों से चल रहे हाई – लो वोल्टेज ड्रामें के बीच चार दिन गुजर चुके थे , और पुलिस अपने हठधर्मिता पर चल रही थी । जिसको लेकर जनपदीय न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द सिंह राजा ने पुलिस को खुली चुनौती देते हुए जंग – ए -ऐलान की कवायद कह डाली । फिर क्या था संघ पदाधिकारीयों सहित आम अधिवक्ताओं ने भी शुर में शुर मिला दिया , और बन गई आगे की रणनीति । वहीं विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जहाँ जनपदीय न्यायालय के मुख्य द्वारा सहित तीनों द्वारों पर मेटल डिटेक्टर मशीनें महीनों से एकान्तवास में थी , उनको भी तैनाती मिल और गेट पर खूफिया विभाग पल पल की खबरों को उ्चाधिकारीयों से साझा करने लगे । जब माहौल गर्म हुआ तो कोतवाल केशरी आजद के रंगत और रवइयत दोंनो बदल गयी और दोपहर में अधिवक्ता श्याम मुरारी दीक्षित की तहरीर पर नामजद पांच आरोपितों पर धारा 147 , 341 , 352 , 504 , 506 के तहत कोतवाली नगर में अभियोग पंजीकृत हो गया । जिसकी सूचना कोतवाली पुलिस ने बार के पदाधिकारीयों समते अधिवक्ताओं को दी ।
क्या था पूरा मामला –
पीड़ित अधिवक्ता के पिता गांधी आश्रम कुड़वार नाका के कर्मचारी थे , जो कि कैंसर बिमारी से पीड़ित थे और ईलाज के दौरान लखनऊ केजीएमसी में उनकी दिनांक 7 – 9 -2016 को ईलाज के दौरान उनका निधन हो गया । जिसके बाद पीड़ित अधिवक्ता अपने परिवार के साथ गृह जनपद देवरिया चला गया और पिता के क्रिया कर्म करने के बाद जब वापस अपने गांधी आश्रम आवास पहुंचा तो विपक्षी कर्मचारीयों ने घुसने से मना करते हुए , गाली देते हुए अमादा फौजदारी हो गए । जिस घटना की जानकारी होने के बाद अधिवक्ताओं में आक्रोश बढ़ गया था , और शुरु हुई थी चार दिनों से कोतवाली की गणेश परिक्रमा ।
क्यों हुआ माहौल गर्म –
जब अधिवक्ता को आवास में दाखिला नहीं मिल सका तो पीड़ित अधिवक्ता अपने साथी अधिवक्ता के घर रहने लगे , लेकिन पीड़ित अधिवक्ता की न्यायिक ड्रेस कोड से लेकर कुछ अहम भौतिक सामग्रीयां अंदर बंद थी । जिसको लेकर माहौल गर्म होने लगा । तो वहीं अधिवक्ता रवि शुक्ला ने कहा कि अगर कोतवाल ये समझ रहे हो कि एफआईआर दर्ज मामला खत्म तो यह कतई संभव नहीं है । एफआईआर के साथ 24 घंटे के भीतर अगर अधिवक्ता को उसके समस्त सामान न मिले तो उसका जिम्मेवार पुलिस प्रशासन होगा । और आम सहमति से जनपद के समस्त अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे ।