अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि भारत का अरबों डॉलर का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा ‘अहम लेनदेन’ माना जाएगा और इस पर काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरी थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए, काट्सा) के तहत कार्रवाई होगी
इस बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत भी कर दिया है. इस आदेश के बाद चीन की कंपनी इक्वीपमेंट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (ईडीडी) और उसके निदेशक ली शांगफू पर रोक लग गया है क्योंकि इस कंपनी ने रूस से सुखोई एसयू-35 फाइटर जेट और एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल की खरीदारी की है.
ट्रंप प्रशासन के इस आदेश के बाद अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में ईडीडी और शांगफू की सारी संपत्तियों पर ताला लग जाएगा. साथ ही अमेरिकी नागरिक इस कंपनी के साथ कोई लेनदेन नहीं कर सकेंगे.
एक अमेरिकी अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘हम यह बताना चाहते हैं कि किसी कंपनी के साथ लेनदेन का अमेरिका में एक विधायी मानक है. अमेरिका ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि सीएएटीएसए के लागू होने के बाद दिसंबर 2017 में चीन ने 10 सुखोई फाइटर विमान, खासकर एसयू-25एस की खरीदारी की. इसके साथ ही चीन ने इस साल जनवरी में एस-400 मिसाइल सिस्टम (जिसे एसए-21 भी कहा जाता है) और इससे जुड़े औजार खरीदे.’
अधिकारी ने कहा, किसी देश की रक्षा क्षमताओं पर रोक लगाने की नियत से काट्सा नहीं लगाया गया है बल्कि रूस की गलत गतिविधियों पर रोकने के लिए ऐसा किया गया. अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका ने काट्सा की धारा 231 के तहत कार्रवाई की है.’ अधिकारी ने इस सवाल पर जवाब नहीं दिया कि तुर्की ने भी एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा है, तो क्या उसके खिलाफ भी अमेरिका कार्रवाई करेगा.
अधिकारी ने कहा, दूसरे देशों की खरीदारी पर अब कोई फैसला नहीं हो पाया है लेकिन हमने उन देशों पर गंभीरता से विचार किया है जिन्होंने एस-400 और सुखोई की खरीदारी की है या आगे कोई सौदा करने की मंशा रखते हैं. ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जो देश एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की तैयारी में हैं, उनके खिलाफ काट्सा के तहत कार्रवाई पर विचार किया जाएगा.
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