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अवैध निर्माण रोकने वाले ही करा रहे निर्माण

15.लखनऊ। विकास प्राधिकरण के लिए जिन अधिकारियों के कंधो पर अवैध निर्माण रुकवाने की जिम्मेदारी है वहीं खुद अवैध निर्माण करा रहे हैं। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। इस सच को प्राधिकरण की रायबरेली योजना के तहत विकास प्राधिकरण की अधिग्रहित जमीन पर आसानी से देखा जा सकता है। करीब 15 साल पूर्व की एलडीए की अधिग्रहित की गई जमीन पर शाॅपिंग काम्पलेक्स का निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। मजे की बात यह है कि विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन दल के अधिशासी अभियंता को इसकी जानकारी तक नहीं है। मिली जानकारी के मुताबिक शारदानगर वार्ड के तहत निर्मित भदरुख गांव से सटी बंसल की बगिया की भूमि का करीब 15 वर्ष पूर्व प्राधिकरण ने अधिग्रहित किया। इस अधिग्रहण के विरोध में विपक्षी बंसल ग्रुप न्यायालय की शरण में चले गए। लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद करोड़ों रुपये की यह भूमि विकास प्राधिकरण के नाम हो गई। पूर्व में इस अधिग्रहित जमीन पर कुछ कच्चे व पक्के निर्माण बने हुए थे। चिन्हित किए गए करीब 90 अवैध निर्माणों को हटाने के लिए के लिए विकास प्राधिकरण की ओर से नोटिस भी जारी किया गया। प्राधिकरण की नोटिस एवं स्थानीय थाने पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद प्राधिकरण की अधिग्रहित इस भूमि पर अवैध निर्माण होने का सिलसिला बदस्तूर अभी भी जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राधिकरण की इस अधिग्रहित की गई जमीन में बने एक परिसर में स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की बंगला बाजार शाखा थी। जिसे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जानकारी से हटा दिया गया। इसके बावजूद इस जमीन पर अवैध निर्माण हो रहे है। पिछले दिनों विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की साठगांठ और मिलीभगत से मुकदमा हार चुके बंसल ग्रुप के एक सदस्य ने इस विवादित भूमि पर स्कूल का निर्माण करा दिया। इसके बाद से लगातार इस भूमि पर दिनोंदिन निर्माण होने लगे है। सूत्रों का कहना है कि पुराने स्टेट बैंक परिसर की बगल में इनदिनों शाॅपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। विवादित भूमि पर हो रहा यह निमार्ण स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकले लगाई जा रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि विकास प्राधिकरण प्रवर्तन दल के कर्मियों की मिलीभगत से हो रहे निमार्ण की यही गति रही तो आने वाले समय में मुख्य मार्ग की प्राधिकरण की इस अधिग्रहित की गई जमीन पर निर्माणों की भरमार हो जाएगी। उधर इस बाबत जब विकास प्राधिकरण प्रवर्तन दल के अधिशासी अभियंता एके सिंह से सम्पर्क किया गया तो पहले तो उन्होंने पूरे मामले पर अनभिज्ञता जाहिर की। जानकारी देने पर उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है इसके लिए अर्जन विभाग से जानकारी करनी होगी। इसके बाद ही वह इस बारे मंे कुछ बता पाएंगे।

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