लखनऊ। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने रिकवरी का रिकार्ड तोड़ दिया है। पिछले वर्षों में सर्वाधिक रिकवरी 09.05 प्रतिशत मिली थी, लेकिन इस वर्ष 10.62 प्रतिशत के साथ अब तक की सबसे अधिक रिकवरी है।
यूपी के गन्ना एवं चीनी उद्योग के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत के दौरान बताया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रिसर्च पर काफी खर्च किया। इससे रिसर्च सुविधाओं में इजाफा हुआ। इसका परिणाम रहा कि रिकवरी बढ़ी है। वैज्ञानिकों के प्रयास ने गन्ना उपज भी बढ़ाया है। 58 टन प्रति हेक्टेयर मिलने वाला उत्पादन अब 65 टन प्रति हेक्टेयर पहुंच गया है। जल्दी ही यूपी में भी महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे प्रदेशों के समान यहां के किसान भी गन्ना उत्पादित करने लगेंगे।
वैज्ञानिकों के रिसर्च से लगातार से गन्ना में शर्करा की मात्रा भी रही है। अनेक अर्ली वेराइटियां गन्ना मिठास को बढ़ा रहीं हैं। मुश्किल से 9 प्रतिशत की रिकवरी हासिल करने वाली चीनी मिलों को इस वर्ष मिलने वाली 10.62 प्रतिशत रिकवरी के पीछे कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत है। एक प्रतिशत रिकवरी बढ़ने से चीनी मिलों को ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा होता है। ऐसे में यूपी की चीनी मिलें घटे से उबरीं हैं। अब गन्ना किसानों के सामने पेराई और भुगतान की दिक्कतें भी नहीं आयेंगीं।