श्री पाण्डेय ने शनिवार को यहां कहा कि बिहार सरकार ने कमेटी के लिए 28 जुलाई को अपने दो प्रतिनिधियों का नाम दिल्ली भेजा और 29 जुलाई को ही केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने कमेटी गठित कर दी । इसमें केन्द्र सरकार के दो सदस्य दिल्ली से पटना के लिए रवाना हो चुके हैं । श्री पाण्डेय ने कहा कि इससे पूर्व बिहार के कृषि मंत्री ने भी राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्विद्यालय का टेक ओवर करने के पूर्व केन्द्र सरकार पर व्यय-वहन नहीं करने का बेतुका आरोप मढ़ा था । जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि जब तक केन्द्र सरकार पूरी तरह किसी भी विश्वविद्यालय को अपने अधीन न कर ले तब तक उस विश्वविद्यालय का खर्च उस प्रान्त की राज्य सरकार को करना पड़ता है ।
श्री पाण्डेय ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के नामकरण पर केन्द्रीय सरकार की मुहर लगते ही केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने त्वरित पहल कर वहां के कुलपति, रजिस्ट्रार और कंट्रोलर को कार्यकारी कुलपति, रजिस्ट्रार और कंट्रोलर के रूप में पूर्व में ही मनोनीत कर दिया है । इस विश्वविद्यालय के गठन की प्रणाली के अन्तर्गत पूर्व के राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की परिसम्पत्तियों को भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) के अन्तर्गत लाने का निर्णय लिया गया था जिसके लिए एक एसैट्स टेकिंग ओवर कमेटी बनाने का काम रूका हुआ था । बिहार सरकार ने जेसे ही अपने दो प्रतिनिधियों का नाम दो दिन पूर्व भेजा अगले ही दिन कमिटी गठित कर दी गई । यदि बिहार सरकार ने कमेटी को पूर्ण सहयोग किया तो हैन्ड ओवर-टेक ओवर का कार्य समय से पूरा हो सकेगा । इस प्रक्रिया के पूरा होते ही यह विश्वविद्यालय केन्द्र सरकार के अधीन हो जायेगा । उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के राजद के समर्थन वाली केन्द्र की पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में 22 दिसम्बर 2009 से 29 मई 2014 के बीच इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और केन्द्र की सरकार के साथ 27 बार बैठकें हुई । लेकिन नतीजा सिफर निकला ।