Saturday , January 4 2025

काव्य वर्षा से सराबोर हुआ लखनऊ महोत्सव

%e0%a4%82%e0%a4%82%e0%a4%82लखनऊ। लखनऊ महोत्सव में रविवार अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। देश भर से आए कवियों ने लखनऊ महोत्सव के पंडाल में काव्य वर्षा हुई। सम्मेलन की अध्यक्षता हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने की। मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे रहे।

महोत्सव के सांस्कृतिक पंडाल में हंसी और फुहारों का श्रोताओं ने आनंद उठाया। कभी व्यंग्य की बारिश तो कभी नोटबंदी का तमाशा, कवियों ने कभी पाकिस्तान को ललकारा तो कभी नारी के सौन्दर्य की प्रशंसा की।

महोत्सव के सांस्कृतिक पंडाल में हंसी और फुहारों के साथ गंभीर विषयों पर कवियों ने अपनी बात रखी।कोटा से आए कुंवर जावेद ने दिया बनू तो पतंगा नसीब हो मुझको, नहाना चाहूं तो गंगा नसीब हो मुझको, मेरी तमन्ना अगर कोई है तो बस ये है मैं यूं मरूं के तिरंगा नसीब हो मुझको गीत से देशभक्ति का ऐसा तराना छेड़ा कि श्रोताओं ने भी जमकर तारीफ की।

इसी क्रम में जावेद ने .‘जो जिन्दा रहने की चाहत उठा के लाया था, जमाने भर की मोहब्बत उठा के लाया था, मैं उसका चाहने वाला हूं उसकी धड़कन हूं, जो एक हथेली पर पर्वत उठा के लाया था को पेश कौमी एकता की मिसाल सबके सामने रखी।

जावेद ने कहा कि इस्लामी ट्रेनिंग के नाम पर तेरे यहां, जहनों को बीमार बनाया जाता है, यहां त्योहार बनाया जाता है, बम सरहद पार बनाया जाता है लाइनों के जरिये पाकिस्तान पर निशाना साधा।

जमुना प्रसाद उपाध्याय ने ‘मेरे जिगर में शौक से खंजर उतार दे, हां मुझको तड़पने का इख्तियार दे और कुछ पल ही सही धूप की शिद्दत से बच सके, ऐ आसमान थोड़े बादल उधार दे से माहौल बनाया।

इसी क्रम में डा. कुंवर बेचैन ने ‘चोट देते ही जाने का शुक्रिया, पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया, जागा रहा तो मैंने कई काम कर लिए, ऐ नींद तेरे न आने का शुक्रिया से युवाओं को जगाने का काम किया।

वाराणसी से आए अनिल चौबे ने ‘नया नया टीवी जब घर में खरीदा गया, हाथ में रिमोट ले पसर गए बाबू जी, आस्था की नदी में उतर गए बाबू जी, टीवी देखने के चक्कर में गुजर गए बाबू जी श्रोताओं को हंसने के लिए मजबूर कर दिया।

रमेश रंजन मिश्र ने बचपन में सिखाते है, यही धाम सत्य है यौवन में स्वयं अर्थकाम सत्य है, जब राम चले जाते हैं, तन की अयोध्या से तब लोग बताते हैर राम नाम सत्य है पंक्तियों श्रोताओं को सुनी।

हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा का अंदाज एकदम अलग है। मंच पर आते हैं तो बिना बोले ही श्रोताओ को हसने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसा ही महोत्सव में भी हुआ। श्री शर्मा ने चुटकी लेते हुए कहा कि भईया ‘हम यहां कवि सम्मेलन में रचना सुनाने नहीं आया हूं, मुझे तो बताया गया था कि महोत्सव के एटीएम में लाइन छोटी है तो पैसे निकालने आया हूं।

सुरेन्द्र शर्मा की इस बात पंडाल ठहाकों से गूंज उठा। इसके साथ ही सुरेन्द्र शर्मा ने ‘मंदिर हो या मस्जिद माटी तो लगी उसमें भाई मेरे भारत की, लहू था हिन्दू का, अल्लहा शर्मिन्दा रहा, मरा मुसलमान तो राम कब जिन्दा रहा रचना भी पेश की।

90 से ज्यादा बसंत देख चुके गीतकार पदमभूषण गोपाल दास नीरज भी महोत्सव के कवि सम्मेलन में प्रतिभाग किया। कवि सम्मेलन में सभी ने सलाम किया। गोपाल दास नीरज के हाथ में साढ़े दस बजे माइक पहुंचा और उन्होंने एक-एक कर कई मुक्तक पेश किए।

नीरज ने ‘धर्म के आदेश को माना मैंने, दर्शन के एक सूत्र को जाना मैंने, ‘इतिहास वहीं लोग बनाते हैं, इतिहास से जो आगे निकल जाते हैं, ‘आत्मा के सौन्दर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य एवं तुम समझ जाओगे कि क्या चीज है भारत माता, तुमने बेटी किसी निर्धन के घर देखी है जैसी पंक्तियों से कवि सम्मेलन में आपनी छाप छोड़ी।

महोत्सव में गोपालदास नीरज, डा. सुरेन्द्र शर्मा, डा. बुद्धिनाथ मिश्र, राधाकृष्ण पथिक, बनज कुमार, कुंवर जावेद, विनीत चौहान, जमुना प्रसाद उपाध्याय, डा. सुरेश, विनय बाजपेई, कुंवर बेचैन, डा. शिवओम अम्बर, अनिल चौबे, भोलानाथ अधीर, सुफलता त्रिपाठी एवं अन्य कवियों ने प्रतिभाग किया।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com