मुंबई। मुंबई उपनगर के पवई क्षेत्र में स्थित उच्च दर्जे के हीरानंदानी अस्पताल में किडनी रैकेट मामले में गिरफ्तार दो डॉक्टरों की जमानत याचिका को मुंबई सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसी के साथ राज्य सरकार ने कडा कदम उठाते हुए हीरानंदानी अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि फर्जी पहचान बताकर किडनी प्रत्यारोपण करने के मामले में मंगलवार रात को इस अस्पताल के सीईओ एवं पांच डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया था। उल्लेखनीय है कि डॉ. एलएच हीरानंदानी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण रैकेट का खुलासा पिछले महीने 14 जुलाई को हुआ था। इसके बाद से ही पुलिस इस रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए सक्रिय हो गई थी और जांच पडताल के बाद अस्पताल के सीईओ एवं पांच डॉक्टरों के इस रैकेट में शामिल होने की जानकारी सामने आई है। बताया जाता है कि सूरत के एक व्यापारी बृजकिशोर जायसवाल यहां किडनी प्रत्यारोपण कराने आए थे। उन्हें किडनी दान करने वाली महिला शोभा ठाकुर को फर्जी कागजात बनाकर उनकी पत्नी के रूप में पेश किया जा रहा था। बृजकिशोर के किडनी प्रत्यारोपण के अंतिम क्षणों में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सूचना पर पुलिस ने पहुंचकर पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया।
पुलिस द्वारा सख्ती से पूछताछ करने पर पता चला कि किडनी दाता महिला सरोज ठाकुर बृजकिशोर की पत्नी नहीं है, उसने 10 लाख रुपयों के लालच में किडनी देना स्वीकार किया था। इसके बाद से पुलिस ने हीरानंदानी अस्पताल पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया और जांच पडताल के दौरान अस्पताल के सीईओ एवं पांच डॉक्टरों के इस रैकेट में शामिल होने की जानकारी सामने आई है। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश किया और इसी क्रम में आरोपी डॉक्टरों ने मुंबई सेशन कोर्ट से जमानत मांगी तो अदालत ने उसे खारिज कर दिया।