कुशीनगर। विश्व बैंक ने कुशीनगर के दो मंदिरों को पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इनमे से एक मंदिर में गुप्तकालीन सूर्य प्रतिमा विराजमान है तो दूसरे मंदिर में धन के देवता कुबेर द्वारा स्थापित षिवलिंग। विश्व बैंक प्रो पुअर टूरिज्म डेवलपमेंट परियोजना के द्वारा इन स्थलों पर पर्यटन के अनुरूप आधारभूत संसाधनों का विकास करेगा।
कुशीनगर के एक होम्योपैथ चिकित्सक डाॅ0 अनिल कुमार सिन्हा ने विश्व बैंक वार्षिगटन की भारतीय प्रनिनिधि स्टेफानिया एबाकार्ली का ध्यान दिलाया तो उन्होनें अध्ययन के लिए तत्काल एक टीम मौके पर भेजी। मंदिर से जुड़ें ऐतिहासिक व पौराणिक तथ्यों के प्रमाणित होते ही विश्व बैंक प्रतिनिधि ने परियोजना में दोनों मंदिरों को षामिल करने का निर्णय लिया।
कुशीनगर के कसया-सेवरही मार्ग पर 17 किमी दूरी पर स्थित तुर्कपट्टी में सूर्य मंदिर स्थापित है। सूर्य प्रतिमा नीलमणि पत्थर की बनी है। मूर्तिकार ने अष्व पर सवार सूर्य देव को सपरिवार प्रतिमा में उकेरा है। पड़रौना-सेवरही मार्ग पर 8 किमी दूरी पर स्थित कुबेरनाथ षिव मंदिर का निर्माण 150 साल पूर्व पड़रौना राजपरिवार द्वारा किया गया। किवदंती है कि पूर्वकाल में जंगल में शिवलिंग की स्थापना कर धन के देवता कुबेर ने पूजा की थी।
चरवाहों की सूचना पर राजपरिवार ने जंगल से शिवलिंग को हटाकर आबादी क्षेत्र में स्थापित करने की कोशिष की। कोशिष कामयाब नही हुई तो राजपरिवार ने जंगल में ही मंदिर का निर्माण करा दिया। वर्तमान में यूपी व बिहार के लोगों में मंदिर आस्था का केंद्र है।
विश्व बैंक टीम पुनः इन स्थलों का दौरा कर योजना तैयार करेगी। उल्लेखनीय है कि प्रो पुअर टूरिज्म डेवलमेंट परियोजना के तहत विष्व बैंक पर्यटन के माध्यम से क्षेत्रीय लोगों के आर्थिक स्वालंबन के लिए कार्य कर रहा है। टीम के सदस्य शांतनु सेठ ने बताया कि विश्व बैंक की योजना ग्रामीण क्षेत्र का विकास कर पर्यटन के अनुरूप बनाने की है। इससे विकास के साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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