खालिस्तान का मुद्दा एक बार फिर भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में दीवार बनता दिख रहा है। ब्रिटेन के खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस की तरफ से वर्ष 2020 में पृथक सिख देश के गठन के लिए जनमत संग्रह कराने के उद्देश्य से लंदन में आयोजन पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है। भारत ने ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया है कि वह इस संबंध में वहां जो तैयारियां चल रही है उस पर ध्यान दे और यह सुनिश्चित करे कि भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा न मिले। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि, ‘ब्रिटेन सरकार को इस तरह के संगठनों पर लगाम लगाना चाहिए ताकि द्विपक्षीय रिश्तों पर कोई उल्टा असर न पड़े।’
कूटनीतिक जानकारों की माने तो कई वर्षो बाद भारत की तरफ से खालिस्तान के मुद्दे पर ब्रिटिश सरकार के रवैए पर इतनी तल्ख भाषा इस्तेमाल की गई है। पिछले तकरीबन एक दशक से ब्रिटेन की सरकार खालिस्तान समर्थक स्थानीय समूहों पर काफी हद तक लगाम लगाने में कामयाब रही है, लेकिन इस बार जो आयोजन किया जा रहा है उसका स्तर काफी व्यापक है।
इस बार का आयोजन ‘सिख फॉर जस्टिम’ नामक जो संस्था कर रही है वह ब्रिटेन के अलावा कनाडा और अमेरिका में भी काफी सक्रिय रहती है। इसने अगस्त में लंदन में एक आयोजन रखा है जिसमें भारत समेत दुनिया भर के सिखों को बुलाया गया है। इसमें सिख युवकों के साथ ही दूसरे राजनीतिक आंदोलन चलाने वाले युवकों को भी आमंत्रित किया गया है।
आने वाले सभी लोगों के लिए मुफ्त में ठहरने, खाने पीने और यहां तक कि रोजगार देने की व्यवस्था करने की भी खबरें आ रही है। आयोजन का उद्देश्य वर्ष 2020 में पंजाब में जनमत संग्रह कराने के लिए वैश्विक स्तर पर समर्थन हासिल करना है। सिख फॉर जस्टिस के प्रतिनिधि पंजाब में भी सक्रिय हैं और इनके खिलाफ कई बार कार्रवाई भी की गई है।
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