लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीबीसी हिंदी के साथ बातचीत में कहा है कि 11 मार्च का चुनावी नतीजा उनके पक्ष में आएगा। हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिए कि चुनाव परिणामों मे यदि उन्हें या किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति शासन की जगह मायावती से हाथ मिलाना पसंद करेंगे।
जब उनसे पूछा गया कि किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में समाजवादी पार्टी की रणनीति क्या होगी तो अखिलेश का कहना था, ‘हां अगर सरकार के लिए ज़रूरत पड़ेगी तो राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा। हम नहीं चाहते कि यूपी को बीजेपी रिमोट कंट्रोल से चलाए।’
चुनाव से पहले ही पारिवारिक कलह के चलते पिता मुलायम सिंह यादव के नाराज होने के सवाल पर अखिलेश ने कहा, ‘नेताजी का जहां मन किया वहां प्रचार करने गए, हमने उनसे कुछ नहीं कहा।’ अपने चाचा शिवपाल यादव से नाराजगी की बात से उन्होंने इनकार किया।
साधना गुप्ता के प्रतीक यादव को राजनीति में लाने पर अखिलेश का कहना था कि जो राजनीति में आना चाहेगा, उसे कौन रोकेगा। राजनीति में सभी को आना चाहिए। अखिलेश ने कांग्रेस से गंठबंधन पर कहा, ‘राहुल गांधी और मैं एक जैसी सोच वाले हैं।
राहुल भी चाहते हैं कि प्रदेश का विकास हो। मैं राहुल गांधी को पहले से ही जानता हूं। हमने एक संदेश दिया कि जो धर्मनिरपेक्ष सरकार चाहते हैं जो विकास के लिए सरकार चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस का साथ दिया। मैं कंजूस के साथ दोस्ती नहीं करता।’
अखिलेश ने स्वीकार किया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को साथ लाने में राहुल और प्रियंका दोनों की भूमिका रही है जबकि प्रशांत किशोर के बारे में उनका कहना था कि उनका काम करने का तरीका अलग है और बदलती राजनीति में ऐसे लोग आएं तो अच्छा ही है।
मंत्री गायत्री प्रजापति को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा, ‘इस मामले की सुप्रीम कोर्ट निगरानी कर रहा है। मैंने पुलिस को निष्पक्ष कार्रवाई करने की बात कही है। मैं चुनाव के दौरान कोई क़दम उठाना नहीं चाहता था क्योंकि इसका ग़लत संदेश जाता।’