संसद में मानसून सत्र के पहले दिन मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद पक्ष और विपक्ष ने अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। अध्यक्ष ने 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दिन मुकर्रर किया है। आज इस पर चर्चा होगी और प्रधानमंत्री सदन में अपना पक्ष रखेंगे। इसके साथ इस प्रस्ताव पर वोटिंग भी होगी।
इस अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष एकजुट है। कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दलों का समर्थन इसे हासिल है। ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि क्या इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा है। यदि सदन में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की संख्या की गिनती की जाए तो मोदी सरकार के पास इस संकट से उबरने के लिए पर्याप्त संख्या है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है अविश्वास प्रस्ताव और उसके सरकार पर पड़ने वाले प्रभाव या परिणाम।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव
1- संसदीय व्यवस्था में मंत्रीपरिषद तब तक पदासीन रहती है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त होता है। लोकसभा द्वारा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव व्यक्त करते ही सरकार संवैधानिक रूप से पद त्याग करने बाध्य होती है। दरअसल, इस विश्वास का पता लगाने के लिए विपक्ष मंत्रीपरिषद के खिलाफ सदन में एक प्रस्ताव पेश करता है जिसे ‘अविश्वास प्रस्ताव’ कहा जाता है।
2- लोकसभा में प्रश्नकाल समाप्त हो जाने के उपरांत अध्यक्ष सदन को इस प्रस्ताव को पढ़कर सुनाता है। इस पर सदन की राय मांगी जाती है, यदि प्रस्ताव के समर्थन में कम से कम पचास सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो जाएं तो अध्यक्ष इस पर अनुमति प्रदान करता है। अन्यथा समझा जाता है सदस्य को सदन की अनुमति प्राप्त नहीं है।
4- जब सदन की अनुमति मांगने के लिए सदस्य का नाम अध्यक्ष द्वारा पुकारा जाता है तब वह सदस्य अविश्वास प्रस्ताव वापस भी ले सकता है, परंतु सदन द्वारा अनुमति दे दिए जाने के पश्चात यदि सदस्य अपना प्रस्ताव वापस लेना चाहे तो वह ऐसा सदन की अनुमति से ही कर सकता है। यानी उन सब सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजकर ही वापस ली जा सकती है, जिन्होंने प्रस्ताव की सूचना पर हस्ताक्षर कर रखे हों।
5- चर्चा के दौरान सदस्यगण सदन में अपनी राय रखते हैं। इसके बाद सामान्यतया सरकार के विरुद्ध लगाए गए आरोपों का उत्तर प्रधानमंत्री स्वयं देता है। वाद-विवाद समाप्त होने के बाद अध्यध अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए रखता है। सदन का फैसला मौखिक मत द्वारा या मतों के विभाजन द्वारा जाना जाता है।
6- एक खास बात यह है कि राज्यसभा को अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने की शक्ति प्राप्त नहीं है। क्योंकि संविधान के अधीन सरकार सामूहिक रूप से केवल निर्वाचित लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।