सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) की कर्मचारी यूनियनों ने दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय संकट के लिए निजी कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio) को जिम्मेदार ठहराया है. यूनियनों का आरोप है कि सरकार अन्य कंपनियों की तुलना में रिलायंस जियो को संरक्षण दे रही है. यूनियनों ने इसके विरोध में 3 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है. कर्मचारी यूनियन का दावा है कि सरकार ने बीएसएनएल को 4G सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन इसलिए नहीं किया है ताकि वह जियो के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके. रिलायंस जियो ने हालांकि, इन आरोपों पर टिप्पणी नहीं की है.
जियो ने बाजार बिगाड़ने वाली दरें रखी
बीएसएनएल ने यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा कि फिलहाल सूचना दूरसंचार क्षेत्र संकट में है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने बाजार बिगाड़ने वाली दरें रखी हैं. जियो का खेल बीएसएनएल सहित अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को पूरी तरह बाजार से गायब करना है. आल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल (AUAB) ने आरोप लगाया है कि पैसे की ताकत पर रिलायंस जियो लागत से कम की दर पेश कर रही है.
कई टेलीकॉम कंपनियां कारोबार बंद कर चुकी
एयूएबी ने कहा कि निजी क्षेत्र की कई दूरसंचार कंपनियां एयरसेल, टाटा टेलीसर्विसेज, अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकम्युनिकेशंस और टेलीनॉर पहले ही अपने मोबाइल सेवा कारोबार को बंद कर चुकी हैं. बयान में कहा गया है कि पूरी प्रतिस्पर्धा खत्म होने के बाद जियो दरों में जोरदार बढ़ोतरी करेगी. बयान में कहा गया कि उसके बाद जियो कॉल और डाटा शुल्कों में भारी वृद्धि कर जनता को लूटेगी. यह हमारे लिए चिंता का विषय है. रिलायंस जियो को खुलेआम नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से संरक्षण मिल रहा है.’
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओक) से तत्काल इस पर प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी. एयूएबी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सरकार से 4G स्पेक्ट्रम की मांग करती आ रही है लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. यह सरकार की सोची समझी रणनीति है ताकि सरकारी कंपनी को रिलायंस जियों के साथ प्रतिस्पर्धा से रोका जा सके. एयूएबी ने कहा है कि बीएसएनएल के सभी अधिकारी और कर्मचारी तीन दिसंबर 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं.
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