ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के 17 राज्यों ने अप्रवासी परिवारों से बच्चों को अलग करने वाली इस नीति के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन राज्यों ने अदालत से बिछड़े परिवारों को मिलाने और नीति को संविधान विरोधी करार दिए जाने की मांग की है।
कोर्ट में चुनौती –
अमेरिकी राज्यों की ओर से परिवारों को अलग करने वाली आव्रजन नीति को पहली बार कोर्ट में चुनौती दी गई है। वाशिंगटन, न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक अटार्नी ने कोर्ट में मुकदमे दायर किए हैं। उन्होंने दलील दी है कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शरण मांगने वालों को मेक्सिको सीमा से अमेरिका में प्रवेश देने से इन्कार करने का आदेश दिया है। सिएटल और वाशिंगटन की अदालतों में मंगलवार को दायर मुकदमों में ट्रंप के 20 जून के उस आदेश को भी दिखावा करार दिया गया है जिसमें उन्होंने अप्रवासी परिवारों को एक साथ रखने का आदेश दिया था। राज्यों का कहना है कि ट्रंप के आदेश में यह अनिवार्य नहीं किया गया है कि परिवारों को अलग नहीं किया जाए। इसमें बिछड़े परिवारों को मिलाने के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।
चुनौती देने वाले अमेरिकी राज्य –
अमेरिका के मैसाच्युसेट्स, डेलवेयर, आयोवा, इलिनॉयस, मैरीलैंड, मिनीसोटा, न्यूजर्सी, न्यू मेक्सिको, नॉर्थ कैरोलिना, ओरेगन, पेंसिल्वेनिया, रोड आइलैंड, वरमोंट और वर्जीनिया।
उपराष्ट्रपति पेंस ने किया आगाह –
ब्राजील दौरे पर गए अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने मंगलवार को बिना दस्तावेज के आने वाले अप्रवासियों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल होने वाले अप्रवासी अपने बच्चों की जान जोखिम में ना डालें।
ट्रंप मेरिट आधारित आव्रजन के पक्षधर –
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा, ‘मैं चाहता हूं कि विदेशी कर्मचारी मेरिट आधारित आव्रजन प्रणाली के जरिये अमेरिका आएं।’ उन्होंने व्हाइट हाउस में संसद सदस्यों के साथ एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
बिछड़े परिवारों को 30 दिन में मिलाने का आदेश –
कैलिफोर्निया के एक जज ने अमेरिकी सीमा अधिकारियों को बिछड़े परिवारों को 30 दिन के अंदर मिलाने का आदेश दिया है। सैन डिएगो के जज डाना सब्रा ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को 14 दिन में उनके परिवारों से अनिवार्य रूप से मिलाया जाए। हाल में 2000 से ज्यादा बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर आश्रय केंद्रों में रखा गया है।
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