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देश संविधान से चलेगा, शरीयत से नहीं: योगी आदित्यनाथ

d-yगोरखपुर। तीन तलाक और चार विवाह की परम्परा पर रोक लगनी चाहिए। पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए। उक्त बातें गोरक्षपीठाधीश्वर एवं गोरखपुर के सांसद महन्त योगी आदित्यनाथ ने आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड तथा देश के कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के प्रस्ताव को ठुकराने पर व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत ने अपने प्रत्येक नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार भी दिए हैं। जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार इस देश के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से प्राप्त है। बावजूद तीन तलाक और चार विवाह के मुद्दे पर आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्शनल लाॅ बोर्ड एवं कुछ मुस्लिम संगठनो की हठधर्मिता अत्यन्त निराशाजनक है।

ऐसा लगता है कि एक राष्ट्र के रूप में ये संगठन राष्ट्र की उस परिकल्पना को नकारने का प्रयास कर रहे हैं जो एक राष्ट्र के लिए एक प्रधान, एक निशान और एक विधान के रूप में सर्वमान्य है। कोई मत अथवा मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता।

राष्ट्रधर्म पहले है, इसके बाद कुछ और। आज जब मनुष्य अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है, पूरी दुनिया सोशल मीडिया के कारण संवाद के माध्यम से आपस में जुड़ चुकी हो, ऐसे समय में भी एक बड़ी आबादी (मुस्लिम महिलाएं) को न्याय से वंचित कर दिया जाए यह किसी भी सभ्य समाज को शोभा नहीं देता है।

मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलना ही चाहिए। तमाम मुस्लिम देशों ने अपने यहां तीन तलाक और चार विवाह की प्रथा को सख्ती के साथ रोका है। भारत में इस पर क्यों नहीं रोक लगनी चाहिए। एक राष्ट्र के रूप में भारत को संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलना चाहिए न कि किसी मत और मजहब के अनुसार। इसलिए व्यापक हित में तीन तलाक और चार विवाह को प्रतिबन्धित करके एक समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू होनी चाहिए।

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