सिद्धार्थनगर ।पत्रकार ध्रुव यादव को फर्जी मुकदमे में फंसाने का विरोध जारी है। न्याय दिलाने के लिए शुक्रवार को विभिन्न स्कूलों के बच्चे सड़क पर उतरे। पूरे नगर में शांति मार्च कर ज्ञापन दिया। बच्चों ने मामले की निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित कर ले, जिससे किसी निर्दाेष को सजा न मिले।
थरौली स्थित सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के बच्चे सुबह 11 बजे मार्च लेकर रवाना हुए। हाथों में’ध्रुव यादव को न्याय दो’मामले की निष्पक्ष जांच करो की तख्तियां लिए बच्चे जिला अस्पताल, सांड़ी तिराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। वहां प्रशासन के एक अधिकारी को ज्ञापन देकर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
बच्चों का कहना था कि सीमाई क्षेत्र की खबरों को निष्पक्षता से जनता के सामने रखने वाले पत्रकार ध्रुव यादव को फर्जी मुकदमे में फंसाने की सूचनाएं लगातार आ रही है। देश का भविष्य होने के नाते हमारा दायित्व है कि ऐसे किसी भी कृत्य का हम विरोध करें। मामले की निष्पक्ष जांच कराने को कहा, जिससे घटना की सच्चाई सबको पता चल सके। नगर के एक अन्य स्कूल के बच्चों ने भी घटना की निष्पक्ष जांच कराकर मामले में कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन देने वालों में अमित कुमार, सोनू प्रजापति, नीलकमल, दीपक अग्रहरि, कृष्णा दुबे, शुभम पाठक, बृजेश कुमार धुरिया, नरेंद्र कुमार, मो.वसीम आदि छात्र शामिल रहे।
शपथ पत्र लेकर पहुंचे प्रत्यक्षदर्शी
अलीगढ़वा कस्बे में 20 नवंबर सायं चाय की दुकान से पत्रकार को उठाए जाने के मामले में प्रत्यक्षदर्शी रहे ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचा। शपथ पत्र के माध्यम से वह जिला प्रशासन को मामले की
सच्चाई से अवगत कराने आए थे। दोपहर करीब 12 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों को अफसरों की गैर मौजूदगी से निराश लौटना पड़ा। इससे उनमें नाराजगी दिखी। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता अमर सिह चौधरी ने किया।
ग्रामीणों का कहना था कि उनकी कोशिश प्रशासन को हकीकत से अवगत कराने की है, लेकिन वह इसकी अनदेखी कर गंभीर मामले को टाल रहे हैं। दुर्गेश कसौधन, आदित्य द्विवेदी, बालाजी, संजय गुप्ता, करीमुद्दीन, राजेश तिवारी, सोनू गुप्ता, रामकृपाल वर्मा, जगदीश साहनी, कमरुद्दीन आदि का कहना था कि घटना के समय वह मौके पर मौजूद थे। उनकी आंखों के सामने एसएसबी ने तांडव किया था। पत्रकार को दुकान से जबरन उठाकर चेक
पोस्ट में ले जाकर बंद कर दिया। विरोध कर रहे लोगों पर बल प्रयोग भी किया। बाद में फर्जी मुकदमा दिखाकर जेल भेज दिया। ग्रामीणों ने बताया कि वह दोपहर 12 बजे कलेक्ट्रेट आ गए थे, लेकिन सक्षम अफसरों के न मिलने से उन्हें मायूस लौटना पड़ा। प्रशासन 48 घंटों में ठोस कदम नहीं उठाता तो अलीगढ़वा कस्बे में ग्रामीण चक्काजाम को बाध्य होंगें।
बंद रहा अलीगढ़वा कस्बा
एसएसबी की मनमानी व उत्पीडऩ के विरोध में अलीगढ़वा कस्बा शुक्रवार को भी बंद रहा।कस्बे के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर एसएसबी का विरोध जताया। पूरे दिन व्यापार ठप रहने से सीमाई क्षेत्र के लोगों को खरीदारी के लिए यहां-वहां भटकना पड़ा। व्यापारियों का कहना था कि उनकी आंखों के सामने एसएसबी ज्यादती कर रही है। हर कोई भयभीत है। ऐसे में दुकानें खोलकर वह कैसे कारोबार करेंगे।