Tuesday , September 30 2025
पाकिस्तान में थम गया चुनाव प्रचार, क्या इस बार इमरान खान के सिर पर सजेगा ताज?

पाकिस्तान में थम गया चुनाव प्रचार, क्या इस बार इमरान खान के सिर पर सजेगा ताज?

पाकिस्तान में बुधवार को होने वाले आम चुनाव के लिए दो महीने से चल रहा प्रचार का दौर सोमवार मध्यरात्रि समाप्त हो गया. अंतिम समय तक विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और नेता जनसभाओं, नुक्कड़ सभाओं और घर-घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की आखिरी कोशिशों में जुटे रहे.पाकिस्तान में थम गया चुनाव प्रचार, क्या इस बार इमरान खान के सिर पर सजेगा ताज?

हालांकि पाकिस्तान में आम चुनाव को लेकर मतदाताओं में बहुत अधिक उत्साह देखने को नहीं मिला और सुरक्षा की स्थिति भी तनावपूर्ण बनी हुई है.

पाकिस्तान के कई कट्टर मौलवियों सहित 12,570 से अधिक उम्मीदवार संसद और चार प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनावी मैदान में हैं. नेशनल असेंबली के लिए 3,675 और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 8,895 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

5 सीटों पर लड़ रहे इमरान खान

पाकिस्तान में आम चुनाव में जीत की ओर से अग्रसर माने जा रहे पीटीआई के नेता इमरान खान को शायद खुद अपनी जीत पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह एक दो नहीं बल्कि पांच सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं.

पीटीआई प्रमुख इमरान पंजाब प्रांत में 3 सीटों के अलावा खैबर पख्तुनख्वा और सिंध प्रांत से भी चुनावी समर में उतर रहे हैं. वह कराची, लाहौर, रावलपिंडी, बन्नू के अलावा मियांवाली से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि 2013 में वह 4 सीटों से चुनाव लड़े थे.

अब तक सबसे महंगा चुनाव

समाचार पत्र डॉन के मुताबिक पाकिस्तान में इस बार पूरी चुनावी प्रक्रिया में तकरीबन 2,364 करोड़ रुपए (440 बिलियन पाक रुपए) खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो 2013 के आम चुनावों से 10 फीसदी ज्यादा है. यह पाकिस्तान में अब तक सबसे महंगा चुनाव होगा. भारत के आम चुनाव से इसकी तुलना की जाए तो आज से 4 साल पहले 2014 में हुए आम चुनाव में 3,500 करोड़ रुपए (577 मिलियन यूएस डॉलर)  खर्च हुए थे.

पाकिस्तान चुनाव आयोग के मुताबिक 2008 में जब देश में चुनाव हुए थे तो उस समय 200 बिलियन पाक रुपए खर्च हुए थे जबकि 2013 में 400 बिलियन पाक रुपए खर्च हुए थे.

पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने कहा है कि नियमों के मुताबिक प्रचार अभियान मध्यरात्रि तक खत्म हो जाना चाहिए ताकि मतदाताओं को सोच-विचार का समय मिले और वह 25 जुलाई को होने वाले मतदान में हिस्सा लेने की तैयारी कर सकें.

नियम का उल्लंघन किया तो जेल

इस समय सीमा के बाद कोई भी उम्मीदवार या पार्टी नेता जनसभाओं या नुक्कड़ सभाओं को संबोधित नहीं कर सकेगा और ना ही रैली निकाल सकेगा. चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण और प्रकाशन से परहेज करेंगे.

आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की जेल की सजा या एक लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है. पूर्व के चुनावों के मुकाबले इस बार चुनाव प्रचार को लेकर मतदाताओं में बहुत अधिक उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता और अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित कई कद्दावर नेताओं के खिलाफ अदालती मामलों के कारण देश में अनिश्चितता का माहौल है.

भ्रष्टाचार निरोधक संगठन राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की कार्रवाइयों के कारण पीएमएल-एन का चुनाव प्रचार प्रभावित हुआ है. वहीं संघीय जांच एजेंसी द्वारा पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी के खिलाफ धनशोधन के मामले में कार्रवाई के समय पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. आतंकियों के आत्मघाती हमलों से भी अभियान प्रभावित हुआ है. पिछले दो सप्ताह में हुए हमलों में तीन उम्मीदवारों सहित 180 लोगों की जान जा चुकी है.

कौन बनेगा प्रधानमंत्री

‘डॉन न्यूज’ ने सर्वे कराया जिसके मुताबिक, 1997 से राजनीति में हाथ आजमा रहे इमरान खान का प्रधानमंत्री बनने का सपना इस बार सच हो सकता है. सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश युवा थे, जिनकी उम्र 18 से 44 साल के बीच थी.

2013 में हुए चुनाव में जिन लोगों ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को वोट दिया था, उनमें से 83.07 मानना है कि इस बार पीटीआई जीतेगी. हैरान करने वाली बात है कि जिन लोगों ने साल 2013 में पीएमएल-एन को वोट दिया था उनमें से भी 40.92 प्रतिशत का मानना है कि इस बार पीटीआई ही विजयी होगी.

इमरान का पलड़ा भारी

पाकिस्तान के चुनावों में इस बार शाहबाज शरीफ (पीएमएल-एन), इमरान खान (पीटीआई) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल अली भुट्टो हैं. नवाज शरीफ के अयोग्य करार दिए जाने के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले शाहबाज शरीफ को अच्छा प्रशासक तो माना जाता है, मगर उन्हें नवाज की तरह वजनदार नेता नहीं माना जाता.

बिलावल अली भुट्टो राजनीतिक परिवार से हैं, लेकिन वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, और उतने प्रभावी नहीं हैं, इसलिए इमरान खान का पलड़ा भारी माना जा रहा है.

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com