नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दिल्ली में शिक्षा पर आयोजित एक सम्मेलन में शामिल हुए. उन्होंने इस दौरान कहा कि शिक्षा वही है, जिससे जीवन बेहतर हो. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षा को भुला दिया गया है. पीएम मोदी ने भारतीय शिक्षा की मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ भी किया.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान और शिक्षा सिर्फ किताबी नहीं हो सकते हैं. शिक्षा का मकसद व्यक्ति के हर आयाम का संतुलित विकास करना है और संतुलित विकास नवोन्मेष के बिना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में ज्ञान के साथ नवोन्मेष पर भी जोर दिया जाता
उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि जहां कहीं भी मैं सम्मेलन में जाऊं, तो वहां पर 40-50 गरीब बच्चों को भी उस कार्यक्रम में बुलाया जाए. ये बच्चे आते हैं, देखते हैं कि कैसे बड़े भैया,बड़ी दीदी डिग्रियां लेकर खुश हो रहे हैं, उनका सम्मान किया जा रहा है, तो उन्हें भी प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा कि हाल ही में यूजीसी ने ग्रेडेड एटॉनॉमी रेग्यूलेशंस भी जारी किए हैं. इसका उद्देश्य शिक्षा के स्तर को सुधारना तो है ही, इससे उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनने में भी मदद मिलेगी. इस रेग्यूलेशन की वजह से देश में 60 उच्च शिक्षा संस्थान और यूनिवर्सिटी को ग्रेडेड एटॉनॉमी मिली है.
उन्होंने कहा कि इसी मार्ग पर चलते हुए केंद्र सरकार की भी यही कोशिश है कि हम हर स्तर पर देश की आवश्यकताओं में शिक्षण संस्थानों को भागीदार बनाएं. इसी विजन के साथ हमने अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत की है. इसमें स्कूली बच्चों में नवोन्मेष की प्रवृत्ति बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. हमारी सरकार शिक्षा जगत में निवेश पर भी ध्यान दे रही है. शिक्षा का बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने के लिए RISE यानि रिवाइटलाइजेशन ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स इन एजुकेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसके तहत 2022 तक एक लाख करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है.
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने HEFA- यानि हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी की स्थापना भी की है, जो उच्च शिक्षण संस्थाओं के गठन में आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी. सरकार ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का बजट भी बढ़ाने का निर्णय लिया है. हमने IIM जैसे संस्थानों को स्वायत्ता देकर इसकी शुरुआत कर दी है. अब IIM को अपने कोर्स करिकुलम, टीचर अपाइंटमेंट, बोर्ड मेंबर अपाइंटमेंट, एक्सपेंशन, खुद तय करने की शक्ति मिल गई है. सरकार की इनमें अब कोई भूमिका नहीं होगी. भारत में उच्च शिक्षा से जुड़ा ये एक अभूतपूर्व फैसला है.
बता दें कि दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इस सम्मेलन में देश के चुनिंदा 350 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के कुलपति और निदेशक भी मौजूद हैं. कार्यक्रम का आयोजन यूजीसी, एआईसीटीई, आईसीएसएसआर सहित उच्च शिक्षा से जुड़े संगठनों ने किया है.
मौजूदा समय में भारतीय शिक्षा को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए आयोजित इस सम्मेलन में विचार-विमर्श के लिए आठ सत्र होंगे. इस दौरान प्रत्येक समूह अलग-अलग विषयों को लेकर अपनी कार्ययोजना भी पेश करेंगे. इसमें जो मुख्य विषय होंगे, उनमें शिक्षा में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग, रोजगार से जुड़े ज्यादा से ज्यादा पाठ्यक्रम शुरू करना, शोध कार्यों को बढ़ावा देना, संस्थानों के बीच आपसी तालमेल को बढ़ावा देना आदि शामिल किया गया है.