लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि बसपा प्रमुख के खिलाफ उनके दल में विद्रोह की आग सुलगने लगी है। दलित को वोट बैंक बनाकर उसका सौदा करने की उनकी राजनीति का पर्दाफाश उनके ही खास लोग कर रहे हैं क्योंकि बसपा प्रमुख अपनी तानाशाही के आगे किसी की कुछ सुनती नहीं हैं। उन्होने अपनी पार्टी में युवाओं और महिलाओं को पूर्णतया उपेक्षित कर रखा है क्योंकि इनसे उन्हें भय होता है। मान्यवर ने जिन साथियों को लेकर बहुजन समाज पार्टी की नींव रखी थी उन्हें हाशिए में डाल दिया गया है। बसपा अब पूरी तरह से बसपा अध्यक्ष की प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बन गई है।
यह बात तो पहले भी कही जाती थी कि बसपा में टिकटो की बोली लगती है लेकिन अब तो उसके सभी प्रमुख नेता इसकी चर्चा करने लगे है। अभी पिछले दिनों ही विधान सभा में बसपा के विपक्ष के नेता ने जब बसपा छोड़ी तो अपने दल में टिकटो के सौदे की बात सार्वजनिक रूप से कहीं थी। यही बात बसपा के एक पूर्व मंत्री ने कही। अब बसपा के दो और विधायको ने भी चुनाव के टिकट के लिए मोटी रकम की उगाही किए जाने का आरोप लगाया है। राजनीति में अगर शुचिता नहीं रहेगी तो नेतृत्व का नैतिक बल समाप्त हो जाएगा। जनता में विष्वास उठ जाएगा। बसपा प्रमुख की राजनीति में न तो जनहित है, न शुचिता और नहीं नैतिकता का कोई स्थान है। उनकी राजनीति शुद्ध व्यापारिक लेन-देन पर टिकी है। सत्ता उनके लिए सेवा का माध्यम नहीं अपने स्वार्थ साधन की सीढ़ी है। बसपा प्रमुख जो कुछ कर रही है उससे राजनीति की मर्यादा गिरेगी और इस गिरावट से राजनीति कलुषित होगी। बसपा प्रमुख ने राजनीतिक व्यवस्था को जिस तरह भ्रष्ट किया है, उससे लोकतंत्र पर भी संकट की छाया पड़ सकती है। जिसका आचरण शुद्ध संपत्ति बटोरने का है वह कल देश-प्रदेश या किसी के भी हितों का सौदा कर सकता है। बसपा प्रमुख के इस आचरण पर चुनाव आयोग को भी नजर रखनी चाहिए क्योंकि इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होती है। बसपा प्रमुख का कारनामा लोकराज को भी तिलांजलि देता है। जनता ने उन्हें इसीलिए वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर का रास्ता सदा के लिये दिखा दिया था।