बिहार की राजधानी पटना में एक अनोखा कैफे है, जो कबाड़ की चीजों से बना है। यह बिजली विभाग का एनर्जी कैफे है। आदए नजर डालते हैं इसकी विशेषताओं पर।
क्रियेटिविटी हो तो बेकार के कबाड़ से भी कमाल के समान बनाए जा सकते हैं। ऐसा ही दिखता है पटना के विद्युत भवन परिसर में बने अनोखे कैफे में। नाम के अनुरूप ही यह जबरदस्त एनर्जी देता है।
पटना के बेली रोड स्थित विद्युत भवन परिसर में चटख रंगों से सजा एक भवन बरबस ध्यान खींचता है। यह ‘एनर्जी कैफे’ है। यहां के सारे सामान और फर्नीचर बिजली विभाग के ख़राब हो चुके सामानों से बने हैं।
कैफे में बैठने के लिए कुर्सी और टेबल पुराने बेकार पड़े ड्रमों से निर्मित हैं। बेकार हो चुके इलेक्ट्रिक पैनल्स से बेंच बनाए गए हैं। पुरानी साइकिल के आधे हिस्से और कार का भी इस्तेमाल किया गया है। केबल रॉल की लकड़ियों को जोड़कर मेनू बोर्ड और दीवार घड़ी बनाई गईं।
बिहार की राजधानी पटना में एक अनोखा कैफे है, जो कबाड़ की चीजों से बना है। यह बिजली विभाग का एनर्जी कैफे है। आदए नजर डालते हैं इसकी विशेषताओं पर।
क्रियेटिविटी हो तो बेकार के कबाड़ से भी कमाल के समान बनाए जा सकते हैं। ऐसा ही दिखता है पटना के विद्युत भवन परिसर में बने अनोखे कैफे में। नाम के अनुरूप ही यह जबरदस्त एनर्जी देता है।
पटना के बेली रोड स्थित विद्युत भवन परिसर में चटख रंगों से सजा एक भवन बरबस ध्यान खींचता है। यह ‘एनर्जी कैफे’ है। यहां के सारे सामान और फर्नीचर बिजली विभाग के ख़राब हो चुके सामानों से बने हैं।