लखनऊ। बुल्गारिया के जैमर अब प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन के नेटवर्क को जाम करेंगे। इजराइल बेस जैमर के बाद कारागार विभाग का यह नया प्रयोग करने जा रहा है। करीब 16 साल पहले ऊषा और एस्सार के नेटवर्क को जाम करने के लिए इजराइल बेस जैमर लगाए गए थे। यह जैमर मोबाइल फोन जाम करने के बजाए जेल के गोदामों में जंग खा रहे हैं। नए प्रयोग के तहत प्रदेश सरकार 73 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश की एक दर्जन जेलों में जैमर लगाए जा रहे हैं। प्रदेश की मुजपफरनगर जेल में जैमर लग भी गए है, अन्य जेलों में लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इलाहाबाद की केंद्रीय कारागार नैनी में सर्वाधिक 28 जैमर लगाए जाएंगे।
प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन के माध्यम से असंगठित आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कारागार प्रशासन जेलों में जैमर लगा रहा है। यह अलग बात है कि अभी तक अपराधी येन-केन प्रकाणेन जेलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जेलकर्मी अपराधियों से मुंहमांगा पैसा लेकर जेल के अंदर मोबाइल फोन को इस्तेमाल करा रहे है। यह बात प्रदेश की जेलों में जिला एवं पुलिस प्रशासन की संयुक्त औचक्क निरीक्षण के बाद सार्वजनिक भी हो चुकी है। जेलों में अनाप-शनाप तरीके से मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए एक बार फिर जेलों में जैमर लगाए जाने की कवायद प्रारंभ हो गई हैं। कारागार मुख्यालय पहले चरण में प्रदेश की 12 अतिसंवेदनशील जेलों में जैमर लगाने जा रहा है। इलाहाबाद की केंद्रीय कारागार नैनी, मुजपफरनगर, लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मिर्जापुर, सुलतानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर , प्रतापगढ और गोरखपुर जिला जेल में जैमर लगाए जा रहे है। केंद्रीय कारागार नैनी में सबसे अधिक 28 और गौतमबुद्धनगर स्थित नोएडा जेल में 20 जैमर लगाए जा रहे है। इसके अलावा अधिकांश जेलों में एरिया के हिसाब से सात से 12 जैमर तक लगाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। जेलों में मोबाइल फोन के संचालन को ठप्प करने के लिए शुरू की गई यह कवायद कितनी सफल होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलवक्त कारागार मुख्यालय प्रदेश की एक दर्जन जेलों में करीब 150 जैमर लगा रहा है। इनकी लागत 73 करोड़ बताई जा रही है। मालूम हो कि वर्ष-2000 में मोबाइल जेल के संचालन को रोकने के लिए करीब 29 लाख रुपये की लागत से प्रदेश की सात जेलों में जैमर लगाए गए थे। तत्कालीन ऊषा और एस्सार के मोबाइल फोन नेटवर्क को जाम करने के लिए केंद्रीय कारागार आगरा, केंद्रीय कारागार वाराणसी, केंद्रीय कारागार बरेली, केंद्रीय कारागार नैनी, जिला जेल लखनऊ और जिला जेल मेरठ में इजराइल बेस जैमर लगाए गए थे। सूत्र बताते हैं कि लाखों रुपये की लागत से लगाए गए यह मोबाइल फोन जैमर चंद दिनों बाद ही खराब हो गए। यह जैमर जेलों के गोदाम में जंग खा रहे हैं।
वर्जन-
अपर महानिदेशक पुलिस एवं प्रभारी महानिरीक्षक कारागार जीएल मीना ने जेलों में मोबाइल फोन लगाए जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि पहले चरण में प्रदेश की 12 जेलों में जैमर लगाए जा रहे है। मुजपफरनगर जेल में जैमर लगा भी दिए गए हैं। करीब 73 करोड़ रुपये की लागत से यह जैमर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा टेलीफोन बूथ व आरओ सिस्टम लगाने का काम भी प्रगति पर है।
— राकेश यादव