Thursday , January 9 2025

भारत का पाक को सटीक जवाब

modiअंतत: वही हुआ जिसका इस देश को इंतजार था। पाकिस्तान के युद्ध विराम के उल्लंघन का करारा जवाब देते हुए भारतीय सेना के जवानों ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया। उरी सैन्य कैंप पर हुए हमले के दस दिन बाद ही सही, भारत ने जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश की है। पाक अधिकृत कश्मीर के भीमबेर, केल, लीपा और हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में चल रहे सात क्षेत्र में चल रहे सात आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया है। इस क्रम में 40 आतंकी मारे गए हैं। भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान तिलमिला  गया है और उसने भारतीय सेना की गोलीबारी में अपने दो सैनिकों के मारे जाने की निंदा की है। यह भारत की ओर से पाकिस्तान पर दोहरा हमला है।

साथ ही इस बात का संदेश भी दिया है कि बर्दाश्त करने की भी अपनी सीमा होती है। अगर पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र में बिला वजह हमले बंद नहीं किए तो भारत उसके क्षेत्र में घुसकर जवाबी कार्रवाई कर सकता है। यह एक बड़ा संदेश है। उरी हमले के बाद तो पूरे देश की एक ही मांग थी कि भारत को पाकिस्तान को करारा जवाब देना चाहिए था और भारतीय सेना की ओर से उसे इस बात के लिए आश्वस्त किया गया था कि पाकिस्तान को उसके किए की सजा जरूर मिलेगी लेकिन भारत में बढ़ते आक्रोश को पाकिस्तान ने बेहद हल्के में लिया और भारत के खिलाफ युद्ध विराम के उल्लंघन जैसी उकसावे वाली अपनी कार्रवाइयों को अंजाम देता रहा। कुपवाड़ा जिले में गुरुवार क सुबह उसने युद्ध विराम का उल्लंघन किया। नौगाम सेक्टर में दानिश और लक्ष्मी चौकियों पर गोलीबारी की। कल शाम पंछ जिले के साब्जियान इलाके में गोलीबारी की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बावत कैबिनेट की बैठक ही नहीं, सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है।

उन्होंने अपने सेना प्रमुख और रक्षामंत्री से गोपनीय वार्ता भी की है। दूसरी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  भी सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सीमावर्ती इलाकों में दस किमी. तक का इलाका खाली करा लिया गया है जिससे कि अगर पाकिस्तान नागरिक आबादी पर हमला करे तो जनहानि न हो। भारत में नरेंद्र मोदी एक बार फिर राजनीति के महानायक होकर उभरे हैं।  उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसे कर दिखाया। उनके इस प्रयास की सराहना पूरा देश कर रहा है। वैसे भी पाकिस्तान जिस तरह सैन्य शिविरों को लक्ष्य कर गोलीबारी कर रहा था, उसका यही सटीक जवाब भी था। उरी में सैन्य शिविर पर हुए हमले के बाद प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि उरी हमले के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।

शहीदों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा  लेकिन केरल के कोझिकोड की सभा में उन्होंने पाकिस्तान को सुधरने का एक मौका भी दिया। उसे नसीहत भी दी कि पाकिस्तान  गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और बीमारियों को मिटाने की दिशा में भारत से जंग करे लेकिन पाकिस्तान नहीं माना और सीमा पर युद्ध विराम की कार्रवाई उसने निरंतर जारी रखी। सार्क सम्मेलन रद्द हुआ और चार देशों ने उसकी गतिविधियों  पर अंगुली उठाई लेकिन तब भी पाकिस्तान नहीं चेता। चाहे जैसलमेर सीमा पर युद्धाभ्यास का मामला हो या फिर भारतीय सीमा में आतंकियों की घुसपैठ सुनिश्चित कराने की कोशिश, उसने भारत विरोधी अपना अभियान निरंतर जारी रखा। मुंबई में उरण के पास संदिग्ध पाकिस्तानियों के देखे जाने के बाद मुंबई और देश के विभिन्न हिस्सों में जिस तरह की सतर्कता देखी गई, उसका भाष्य भी पाकिस्तान ने समझना मुनासिब नहीं समझा। अलबत्ते उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने तो यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान ने  परमाणु बम   नुमाइश के लिए तो बनाए नहीं हैं।

पाकिस्तान दुनिया को दरअसल संदेश क्या देना चाहता है। पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पालता-पोसता है। उन्हें संरक्षण देता है। अगर ऐसा न होता तो  अमेिरका के राष्ट्रीय सलाहकार  राइस अजित डोभाल कर फोन कर अपेक्षित कार्रवाई की बात नहीं करते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कार्रवाई का दबाव तो तभी बन गया था जब पठानकोट स्थित वायु सेना के मुख्यालय पर पाकिस्तान से आए आतंकियों ने हमला किया था और वायु सेना के कई जवानों को मौत के घाट उतार दिया था। उस समय पाकिस्तान ने वचन दिया था कि वह इस घटना की जांच में भारत को संपूर्ण सहयोग देगा लेकिन जांच टीम के नाम पर उसने सहयोग तो कम दिया। पठानकोट में वायुसेना के एयरबेस की जांच के बहाने रेकी करने आधिकारिक रेकी जरूर की। यह अलग बात है कि वायु सेना सतर्क थी। उसने उन्हें पठानकोट वायुसेना की ताकत जानने का मौका ही नहीं दिया। फलत: पाकिस्तान को कहना पड़ा कि भारत ने जांच में उसे सहयोग नहीं किया। अब उससे कोई यह पूछे कि जांच टीम में क्या सेना और आईएसआई के अधिकारी को शामिल किया जाना उचित था तो इसका जवाब पाकिस्तान के पास नहीं है।सच तो यह है कि पूरा देश मोदी और सेना के साथ खड़ा है। पाकिस्तान अब भी न सुधरा  तो उसका विनष्ट होना लगभग तय है।

—— सियाराम पांडेय ‘शांत’

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