बीजिंग। चीन ने भारत के कूटनीतिक प्रयासों को झटका दिया है। आतंकी सरगना अजहर मसूद और NSG की सदस्यता के मामले में चीन तैयार नहीं है। चीन दोनों ही मामलों में वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की अपेक्षाओं और हितों के विरुद्ध कार्य कर रहा है।
शांतिपूर्ण कार्यो में परमाणु ऊर्जा के उपयोग के लिए भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता की दरकार है। इससे भारत को पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम के साथ ही ऊर्जा उत्पादन की नई तकनीकी भी मिल सकेगी।
भारत की सदस्यता के पक्ष में दुनिया के ज्यादातर देश हैं। लेकिन चीन भारत को आगे बढ़ने से रोकने के लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत को आधार बनाए हुए है। भारत ने अभी तक इस संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं। भारत को इसमें छूट मिलने पर चीन पाकिस्तान को भी छूट दिलाकर NSG का सदस्य बनाने की फिराक में है। जबकि समूह के ज्यादातर देश पाकिस्तान की सदस्यता के लिए तैयार नहीं हैं।
भारत में हुए अन्य आतंकी हमलों के मामले में जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराना चाहता है। मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र की अधिकार प्राप्त समिति को अर्जी दी है। समिति के बाकी सदस्य भारत के साथ हैं। परन्तु चीन वीटो लगाकर भारत की अर्जी को रोक रहा है। मसूद के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर उसके खिलाफ कार्रवाई आसान हो जाएगी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। भारतीय विदेश सचिव की इस टिप्पणी पर कि दोनों देशों एक-दूसरे की अपेक्षाओं का सम्मान करना चाहिए। चीनी प्रवक्ता ने कहा, दो विकासशील देशों के परिप्रेक्ष्य में यह सोच सही है लेकिन हर मुद्दे पर यह सिद्धांत अमल में लाया जाए-यह जरूरी नहीं।