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भारत के किस हिस्से पर हक जताएगा पाकिस्तान , इमरान कैबिनेट 5वां प्रांत बनाने पर लेगी फैसला

भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर के शुरू होने के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. पंजाब का रास्ता खुलने के बाद पाकिस्तान ने विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र मामले पर आज दोपहर 12 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है. पाकिस्तान औपराचिक तौर पर गिलगित-बाल्टिस्तान को पांचवां प्रांत घोषित करने की तैयारी कर रहा है.

लीगल स्टेट की समीक्षा के लिए कमेटी गठित
पाकिस्तान सरकार की ओर से गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के लीगल स्टेटस की समीक्षा के लिए एक कमिटी गठित की गई है. माना जा रहा है कि लीगल स्टेटस की समीक्षा होने के बाद पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को पांचवां प्रांत घोषित कर सकता है. 

जम्मू कश्मीर का हिस्सा है गिलगित-बाल्टिस्तान
आपको बता दें कि भारत इस क्षेत्र को जम्मू कश्मीर का हिस्सा बताता है. नॉदर्न एरियाज के नाम से चर्चित जम्मू-कश्मीर के इसी टुकड़े को अब पाकिस्तान ने अपना पांचवां प्रांत घोषित करने की योजना बनाई है. हालांकि भारत इसका कड़ा विरोध कर रहा है. दरअसल, पाक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस साकिब निसार की अगुवाई वाली सात जजों की बेंच ने अक्टूबर में सरकार को निर्देश दिया था कि वह पाकिस्तान के दूसरे प्रांतों के बराबर लाने के लिए इस क्षेत्र के लीगल स्टेटस की समीक्षा करें. 

इमरान सरकार ने बनाई 10 सदस्यों की कमिटी 
अब पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने उसी फैसले पर अमल करते हुए 10 सदस्यों की एक कमिटी बना दी है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार द्वारा गठित किए गए विशेष पैनल की सुझाव को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया था. यह पैनल क्षेत्र के संवैधानिक और प्रशासनिक सुधारों के लिए गठित किया गया था. 

जज ने आर्टिकल 370 का भी किया था जिक्र 
बेंच के एक सदस्य ने इस बात पर आश्चर्य जाहिर किया था कि अगर भारत अपने संविधान के आर्टिकल 370 में संशोधन कर जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दे सकता है तो पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांतीय दर्जा क्यों नहीं दे सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग भी पाकिस्तानी हैं और उन्हें सभी अधिकार मिलने चाहिए. 

प्रांत का दर्जा कैसे दें, सुझाएंगे तरीके 
अब सरकार द्वारा बनाई गई कमिटी क्षेत्र को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के तरीके सुझाएगी. गौरतलब है कि यह क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत विवादित है. भले ही इस क्षेत्र पर पाकिस्तान का कब्जा हो लेकिन भारत गिलगित-बाल्टिस्तान को जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा मानता है. सुप्रीम कोर्ट ने 32 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए थे. याचिकाओं में विवादित क्षेत्र के संवैधानिक दर्जे को लेकर चिंता जताई गई थी. इनमें मुख्य याचिका गिलगित-बाल्टिस्तान बार काउंसिल की ओर से उसके वाइस-चेयरमैन जावेद अहमद की ओर से फाइल की गई थी. 

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