पाक में जल्द बनने वाली नई सरकार भारत के साथ सिंधु नदी विवाद को लेकर एक बार फिर विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाने की तैयारी करेगी। पाक अखबार द न्यूज ने इस बारे में सूत्रों के हवाले से दी खबर में बताया है कि नई सरकार 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुए इस समझौते को लेकर पंचाट गठन की मांग करेगी।
पिछले साल पाक ने जम्मू कश्मीर में किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रातले (850 मेगावॉट) पनबिजली परियोजनाओं पर भारत के डिजाइन को गलत बताते हुए विश्व बैंक का रुख किया लेकिन मुंह की खाई थी। पाक के कार्यवाहक जल संसाधन मंत्री सैयद अली जफर से जब पूछा गया कि विश्व बैंक पाकिस्तान पर सकारात्मक नहीं है, जबकि उसके फैसले भारत के समर्थन में आ रहे हैं तो उन्होंने कहा, अब नई सरकार सत्ता में आ रही है। चीन, रूस और तुर्की भी यह मान रहे हैं कि पानी पाकिस्तान के लिए बड़ा मुद्दा है, इसलिए विश्व बैंक को इस पर पंचाट गठित करना चाहिए।
दरअसल, इन नदियों के पानी के इस्तेमाल पर पाकिस्तान को किसी बंदिश का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन उसे संदेह है कि बांध बनने के बाद उसे पानी को लेकर भारत पर निर्भर रहना पड़ सकता है। भारत इस मामले में निरीक्षण के लिए एक निष्पक्ष विशेषज्ञ की मांग करता रहा है। इस मुद्दे पर विश्व बैंक का कहना है कि हमने दोनों देशों के बीच विवाद के समाधान के लिए काम किया है।
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