लखनऊ । राजधानी स्थित मुमताज डिग्री कॉलेज में रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। उच्च शिक्षा में समस्या, चुनौती व समाधान विषय पर आयोजित सेमिनार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिक्षकों को पुरस्कार व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इससे पहले डॉ. अब्दुल रहीम की किताब हिन्दी और भारतीय मुस्लिम का विमोचन किया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्राइमरी व उच्चशिक्षा के गुणवत्ता में सुधार की बात कही। उन्होंने शिक्षकों की सभी समस्याओं का समाधान करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा शिक्षकों को बढ़ावा दिया है। हमारी सरकार में भी एक अध्यापक है। मंत्री अभिषेक मिश्रा की ओर इशारा करते हुए कहा, यह हमारी कैबिनेट के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे मंत्री हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़ाने वाले शिक्षकों का सम्मान और पढ़कर निकलने वालों के लिए नौकरी की कमी नहीं रहेगी। हम प्रदेश में ऐसे संस्थान बनाएंगे जिसमें पढ़ने वाले को प्रदेश से लेकर देश तक और विदेश में भी सम्मान मिले। बहुत जल्द 4 हजार और नौकरियां निकाली जाएंगी। हमारी मंशा है कि पूरे प्रदेश में लोग खूब पढ़ें और बढ़ें।
इस मौके पर राज्यमंत्री अभिषेक मिश्रा ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द भी एक शिक्षक ही थे और उन्होंने हिन्दुस्तान के विचार को पूरी दुनिया के सामने रखा था और यहां की संस्कृति से परिचित कराया था। इसलिए शिक्षकों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा से ही किसी भी देश की प्रगति की गति तय होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वैसी होनी चाहिए जो लोगों को धर्म से जोड़े। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने कहा कि उच्च शिक्षा में मौजूद समस्याओं का पूरा ब्यौरा शासन में भेजा गया है। जल्द ही समस्याओं का समाधान भी होगा। इससे पहले छात्राओं ने गीत प्रस्तुति दी। वहीं 12वीं की एक छात्रा ने मुख्यमंत्री को ग्रीटिंग कार्ड दिया और उनके सम्मान में अंग्रेजी में कविता पढ़ी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रदेश के कई विद्यालयों से शिक्षक मौजूद रहे।
65 वर्ष हो सेवानिवृत्ति आयु-
कार्यक्रम में मुमताज डिग्री कॉलेज के प्रबंध समिति के अध्यक्ष जफरयाब जिलानी ने कहा कि केन्द्रीय विद्यालयों में यूजीसी के नियमानुसार शिक्षकों की आयु 65 वर्ष है। लेकिन राज्य विश्वविद्यालयों में ऐसा नहीं है, इसलिए सरकार इसे लागू करे। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिक्षकों के प्रमोशन के मामले का भी समाधान करने का आग्रह किया। इसके साथ ही सहायता प्राप्त कॉलेजों को ग्रांट देने की भी मांग की, जिससे उनकी हालत को सुधारा जा सके। इस दौरान लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि शिक्षकों की भारी कमी होने से शिक्षक कार्य प्रभावित हो रहा है। इसलिए शिक्षकों की भर्ती की जाए। इसके साथ ही शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा भी दिया जाए।
शिक्षा का प्राइवेटाइजेशन हो बंद-
सेमिनार में मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यायल के शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण ने कहा कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से उच्च शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही है। पूरे विश्व में शिक्षा पर प्रहार किया जा रहा है और उसका प्राइवेटाइजेशन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी शिक्षक के प्रमोशन का आधार अधिक अंक हासिल करना रखा गया है जो कि पूरी तरह से गलत है। क्योंकि प्रमोशन के लिए अधिक अंक प्राप्त करने के चक्कर में शिक्षक अपने मुख्य कार्य पढ़ाई से भटक जाएंगे।
इन शिक्षकों को किया गया सम्मानित-
कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले शिक्षकों में डॉ. संग्राम सिंह चैहान, अयोध्या शरण तिवारी, डॉ. प्रिय लता सिंह, डॉ. शक्ति धर, डॉ. जेएन शुक्ला, डॉ. अरूणा राजवंशी, डॉ. एलआर मिश्रा, डॉ. रिना सिंह, डॉ. एसपी त्रिपाठी, डॉ. एलके अस्थाना, डॉ. हसीन जहां, डॉ. इशरत सिद्दकी, डॉ. एनएम त्रिपाठी, डॉ. एपी सिंह, डॉ. अहमद अब्बास शामिल हैं। वहीं डॉ. सुप्रभा भी सहाय के स्थान पर उनके पति विष्णु सहाय को सम्मानित किया गया।