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मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन में गौरक्षकों के लिए एक प्रयोगशाला के तौर पर उभरा है

 माकपा नेता हन्नान मोल्लाह ने आरोप लगाया है कि राजस्थान, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन में गौरक्षकों के लिए एक प्रयोगशाला के तौर पर उभरा है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव सात दिसम्बर को होना है. राजस्थान के लिए माकपा के प्रभारी मोल्लाह ने पीटीआई से कहा कि गौरक्षकों का मुद्दा धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक एवं दलित केंद्रित विधानसभाओं में चुनावी मुद्दा है क्योंकि दोनों समुदायों के लोगों को राजे शासन के दौरान गौसंरक्षण के नाम पर निशाना बनाया गया.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘गौरक्षकों को राज्य मशीनरी और राजे सरकार का आशीर्वाद प्राप्त रहा है. राज्य में गत पांच वर्षों में गौरक्षक समूहों द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों और दलित गौपालकों पर सबसे अधिक संख्या में हमले हुए हैं. सरकार ने दोषियों को लेकर चुप्पी साधे रखी.’’ मोल्लाह ने दावा किया, ‘‘राजस्थान में वह पहलू खान की गौरक्षकों द्वारा पीट पीटकर हत्या करने का मामला था जिससे भाजपा शासित राज्य में मवेशी व्यापारियों पर अत्याचार को लेकर देशभर का ध्यान गया. सरकार ने शुरू में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. जब लोगों ने हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया तभी राजे सरकार ने कदम उठाया.’’ 

माकपा नेता मोल्लाह ने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा सरकार के कार्यकाल में दलित मवेशी पालकों पर अगड़ी जाति के सदस्यों द्वारा गौसंरक्षण के नाम पर हमलों की सैकड़ों घटनाएं हुई. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘गौरक्षक समूहों के कार्यकर्ता सत्ताधारी भाजपा के सदस्यों से जुड़े हुए हैं. इसीलिए राजे सरकार ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की.’’ मोल्लाह ने कहा कि भाजपा के गत साढे़ चार वर्ष के शासन के दौरान देश में गौरक्षकों द्वारा 79 हमले हुए जिसमें 40 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए . ज्यादातर पीड़ित एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के थे. 

माकपा नेता ने दावा किया, ‘‘देश के कई हिस्सों विशेष तौर पर भाजपा शासित राज्यों में गौरक्षकों का उभार भगवा ताकतों की दीर्घकालिक योजना है ताकि जनता से संबंधित वास्तविक मुद्दों को दबाया जा सके.’’ 

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