लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गुरुवार से ऑनलाइन शापिंग महंगी हो गई है। ई-कामर्स के माध्यम से मंगायी जाने वाली वस्तुओं पर अब पांच प्रतिशत प्रवेश कर देना होगा। इससे राज्य सरकार को पांच से छह सौ करोड़ राजस्व मिलने का अनुमान है।महीनों की कवायद के बाद पिछले दिनों विधानमंडल से पारित ई-कामर्स संबंधित विधेयक को राज्यपाल राम नाईक की हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने बुधवार को अधिसूचना जारी की थी। यह अधिसूचना गुरूवार से प्रभावी हो गई है। इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम के तहत अब ऑनलाइन शापिंग या ई-कामर्स के माध्यम से सूबे के बाहर से मंगाए जाने वाले मोबाइल सहित अन्य वस्तुओं पर पांच फीसद टैक्स (वैट एक्ट के तहत टैक्स फ्री यानी कर मुक्त वस्तुओं को छोड़कर) देना होगा। वहीं व्यक्तिगत उपयोग के लिए मंगाए जाने वाले माल के लिए किसी को अलग से टैक्स नहीं देना पड़ेगा, बल्कि ई-कामर्स कंपनियां ही टैक्स को जोड़ते हुए अब वस्तुओं के दाम तय करेंगी।विशेषज्ञों के मुताबिक, पांच फीसद टैक्स लगाए जाने के बावजूद ऑनलाइन शापिंग के जरिए मंगायी जाने वाली वस्तुएं खुले बाजार से सस्ती ही रहेगी। जिसका मुख्य कारण है कि ऑनलाइन माल बेचने पर ई-कामर्स कंपनियों का खर्च बेहद कम ही होता है।उल्लेखनीय है कि अभी तक ई-कामर्स के जरिए दूसरे राज्य से मंगाए जाने वाले माल पर किसी तरह का टैक्स वसूलने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं था। ऐसे में मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रानिक उपकरण, कपड़े आदि अपेक्षाकृत काफी सस्ते होने से ई-कामर्स का दिन-प्रतिदिन चलन तो बढ़ता जा रहा था लेकिन राज्य सरकार को किसी तरह का टैक्स नहीं मिल रहा था। चूंकि ऑनलाइन वस्तुओं पर टैक्स वसूलने की व्यवस्था ही नहीं थी। इसलिए ई-कामर्स कंपनियों द्वारा कुरियर के माध्यम से भेजे जाने वाले माल को वाणिज्य कर विभाग द्वारा पकड़ लिया जाता था। ऐसे में कई ई-कामर्स कंपनियों सूबे में माल बेचने से ही बच रही थी। वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्राम ने गुरूवार को बताया कि राज्य में तकरीबन 10-12 हजार करोड़ रुपये की सालाना ऑनलाइन शापिंग हो रही है, जिसमें वर्ष 2020 तक चार गुने का इजाफा होने का अनुमान है। पांच फीसद प्रवेश कर से सरकार को सालाना 500-600 करोड़ रुपये राजस्व मिलने का अनुमान है।
प्रदेश में ऑनलाइन शापिंग पर अब भले ही टैक्स लगेगा लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में पहले से ही टैक्स लगा था। उत्तराखंड के तर्ज पर ही प्रदेश में ऑनलाइन शापिंग पर टैक्स लगाया गया है। असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी ऑनलाइन शापिंग पर टैक्स वसूलने की व्यवस्था पहले से ही लागू है।