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यूपी में गुरु पूर्णिमा की धूम, राज्यभर में हो रहा गुरुओं का पूजन

unnamed (7)लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आज गुरु पूर्णिमा की धूम है। राज्यभर में गुरुओं का पूजन हो रहा है। श्रद्धालु बठोंए मंदिरों और आश्रमों में अपने गुरुओं का पूजन कर उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व विशेष योग में मनाया जा रहा है। इसे लेकर राज्य में स्थित मठोंए मंदिरों और आश्रमों में श्रद्धालुओं का जमावड़ा सोमवार से ही प्रारम्भ हो गया था। राजधानी लखनऊ के अलावा इलाहाबाद, वाराणसी, मथुरा, अयोध्या, आगरा और अन्य स्थानों पर स्थित मठों व मंदिरों में गुरू पूर्णिमा को लेकर विशेष आयोजन हो रहे हैं। इलाहाबाद स्थित बाघम्बरी मठ के श्री महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में मंगलवार को यह पर्व धर्म योग में पड़ा है। आज देवताओं के गुरु बृहस्पति सूर्य की सिंह राशि में रहेंगे। उन्होंने बताया कि कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है। ऐसे में आज कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

भारी बारिश के बावजूद इलाहाबाद के ही अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में गुरू पूर्णिमा के पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। आज वहां दिन भर श्रद्धालु जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज का दर्शन और पूजन करेंगे। आश्रम के प्रबंधक आत्मानन्द महाराज ने बताया कि जगद्गुरू शंकराचार्य का आज के बाद आश्रम में ही चातुर्मास व्रत प्रारम्भ होगा। इस दौरान आश्रम में विविध आयोजन होंगे।

वाराणसी स्थित काशी सुमेरू पीठ में भी गुरू पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई है। यहां के पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वती ने बताया कि गुरू पूजा के साथ आज वहां भगवान चंद्रमौलेश्वर का महाभिषेक भी होगा।

पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द जी महाराज गुरू पूर्णिमा पर्व पर मथुरा के गोवर्धन स्थित अपने आश्रम पर पहुंच चुके हैं। वह यहीं चातुर्मास भी करेंगे। आज वहां भी भक्तों का जमावड़ा है। चातुर्मास के दौरान वहां भी कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।

उधर अमेठी स्थित स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी के आश्रम में भी गुरू पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह है। स्वामी जी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि गुरू पूर्णिमा पर्व के बाद वह इलाहाबाद के झूंसी स्थित अपने आश्रम में चले जाएंगे। वहीं उनका चातुर्मास व्रत होगा।
राम नगरी अयोध्या में गुरू पूर्णिमा के पर्व पर श्रद्धालु सरयू में डुबकी लगाकर अपने गुरूओं और आराध्य देवताओं की पूजा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु.सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती हैए वैसे ही गुरु.चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञानए शान्तिए भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
इस दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन महर्षि व्यास का जन्म भी माना जाता है। महर्षि व्यास को अब तक का सबसे बड़े लेखक माना जाता है। इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है। इसके साथ ही गुरुओं के आदर्शों पर चलने का संकल्प भी लेते हैं।

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