रियो डि जिनेरियो। अनुभवी पहलवान और पदक की आखिरी उम्मीद योगेश्वर दत्त के पहले दौर में हारने के साथ ही भारत रियो ओलंपिक में अभियान भी आज समाप्त हो गया जिसमें उसका अब तक का सबसे बडा दल केवल दो पदक जीत पाया। लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर से काफी उम्मीदें थी और उन्हें पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन मंगोलिया के गैंजोरिगिना मंदाखरान के खिलाफ क्वालिफिकेशन दौर के मुकाबले में उन्होंने बेहद लचर खेल दिखाया और 0-3 से हार गये।
मंदाखरान केक्वार्टर फाइनल में हारने से योगेश्वर की लगातार दूसरी बार रेपेचेज के जरिये पदक जीतने की उम्मीदें भी समाप्त हो गयी। खेलों के 15वें दिन अन्य दावेदार तीन मैराथन धावक थे। उनमें से दो ने अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला लेकिन वे पदक की दौड से काफी पीछे रहे। मैराथन दौड खत्म होने के साथ ही भारत का ब्राजीली शहर में अभियान भी समाप्त हो गयी जहां उसे शुरु से ही निराशा का सामना करना पडा। भारत केवल एक रजत (पीवी सिंधु), बैडमिंटन महिला एकल और एक कांस्य पहलवान साक्षी मलिक महिला 58 किग्रा ही जीत पाया। भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 ने सर्वाधिक छह पदक जीते थे लेकिन उनमें स्वर्ण पदक शामिल नहीं था। खेलों से पहले भारतीय खेल प्राधिकरण ने पदकों की संख्या दोहरे अंक में पहुंचने की उम्मीद जतायी थी लेकिन वे सब धराशायी हो गयी और दो महिला खिलाडियों ने देश की लाज बचायी। योगेश्वर से काफी उम्मीद की जा रही थी लेकिन क्वालीफिकेशन में उन्होंने खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद यह उम्मीद थी कि मंगोलियाई पहलवान फाइनल में पहुंचे जिससे योगेश्वर को रेपेचेज का मौका मिले लेकिन उन्हें ताशकंद विश्व चैंपियनशिप 2014 के स्वर्ण पदक विजेता रुसी पहलवान सोसलान लुडविकोविच रामोनोव से 0-6 से हार झेलनी पडी। इससे भारतीय पहलवान की उम्मीदें भी समाप्त हो गयी।