लखनऊ । एसपी के रजत जयंती कार्यक्रम में पूरा परिवार इकट्ठा तो हुआ था जनता परिवार को बड़ा करने के लिए, पर परिवार का झगड़ा मंच पर साफ दिखाई पड़ा। कार्यक्रम में आए नेताओं ने यह दिखाने की कोशिश जरूर की कि सीएम अखिलेश और एसपी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव एकजुट हैं, पर दोनों एक दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूके।
शिवपाल ने यह कहा, ‘मुझे सीएम नहीं बनना, जितना त्याग लेना चाहो ले लो।’ इस पर अखिलेश भी यह कहने से नहीं चूके, ‘कुछ लोग सुनेंगे जरूर, मगर समाजवादी पार्टी का सब कुछ बिगड़ने के बाद।’
कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले शिवपाल सिंह यादव मंच पर आए। उसके कुछ देर बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहुंचे। सीएम मंच की दाहिनी ओर आगे की कुर्सी पर सांसद रेवती रमण सिंह के बगले में बैठे, तो चाचा शिवपाल मंच के बायीं ओर माता प्रसाद पांडे की बगल में लगे सोफे पर बैठे। मंच के दाहिनी ओर बैठे अखिलेश के पास शिवपाल पहुंचे और उन्हें मंच की व्यवस्था के बारे में बताया। यह भी पूछा कि पहले कौन बोलेगा? यह सब बात हो ही रही थी, लेकिन अखिलेश समर्थक लगातार नारेबाजी कर रहे थे, शिवपाल ने इस पर थोड़ी नाराजगी भी दिखाई, पर जाहिर नहीं किया।
विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार जावेद आब्दी मंच पर बोलने आए। वह शिवपाल और मुलायम के खिलाफ बोलने लगे। इस पर सीएम के करीबी माने जाने वाले जावेद को पहले शिवपाल ने उन्हें इशारे से रोका, पर वह नहीं रुके। इसके बाद मुलायम ने शिवपाल को बुलाकर जावेद को बोलने से रोकने को कहा तो शिवपाल ने उनके पीछे से सीधे माइक खींच लिया। सीएम की युवा टीम यह देखते ही शोर मचाने लगी।
रजत जयंती समारोह में आए लालू-देवेगौड़ा ने शिवपाल और अखिलेश का हाथ उठवाकर यह दिखाने की कोशिश की कि दोनों एक हैं। मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने जब दोनों को तलवार भेंट की तो लालू बीच में आ गए और उन्होंने दोनों के हाथ अपने दोनों हाथ में लेकर हाथ उठवा दिए। लालू ने जब हंसकर दोनों को करीब बुलाया तो सीएम अखिलेश ने आगे बढ़कर चाचा शिवपाल के पैर भी छुए।