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रोडवेज में 1346 मृतक आश्रितों की भर्ती का मामला लटका

imagesलखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) में 12 सौ मृतक आश्रितों की नियमित भर्ती करने के बाद 1,346 मृतक आश्रितों की भर्ती का मामला लटक गया है। वहीं रोडवेज यूनियनें मृतक आश्रितों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए जल्द ही प्रदेश शासन को मांग पत्र सौंपेगी। परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि मृतक आश्रितों की भर्ती के संबंध में जब शासन की तरफ से दिशा निर्देश जारी होंगे तभी भर्ती होगी।

बता दें कि आठ साल बाद परिवहन निगम में मृतक आश्रितों की भर्ती करने की कवायद शुरू हुई। उसमें भी एक हजार से ज्यादा मृतक आश्रित की भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए। निगम प्रशासन ने प्रदेश भर के डिपो से जो मृतक आश्रितों की सूची मांगी थी उनमें दिसम्बर 2015 तक मृतक आश्रितों की सूची में दो हजार 546 नाम सामने आए। इसके एवज में चार जुलाई 2013 तक में 1200 लोग शामिल हो गए। बाकी मृतक आश्रितों को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया।

रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री गिरीश चंद्र मिश्र ने रविवार को बताया कि कर्मचारी सेवा नियमावली 1981 की धारा 77 के तहत राज्य कर्मचारियों की भांति मृतक आश्रितों की भर्ती करना अनिवार्य है। 12 सौ मृतक आश्रितों की भर्ती करने के बाद जो लोग बच गए है, उन्हें भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के लिए परिषद शासन को जल्द ही प्रदेश शासन को मांग पत्र सौंपेगा।

मुख्यमंत्री से मिलेंगे मृतक आश्रित-
मृतक आश्रितों की नियमित भर्ती प्रक्रिया से बाहर हुए मृतक आश्रितों में काफी निराशा है। जो लोग भर्ती प्रक्रिया से बाहर हुए है, वे मृतक आश्रित जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर नियमित भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने की मांग करेंगे। हालांकि, इनमें से अधिकांश मृतक आश्रित निगम में संविदा के पद पर कार्यरत है।

16 साल बाद बेटे को मिली नौकरी-
चारबाग बस डिपो में तैनात कंडक्टर ब्रज मोहन मिश्रा की मौत बीते सन् 2000 में हरैय्या के पास बस दुर्घटना में हो गई थी। इसके 16 साल बाद मृतक आश्रितों की भर्ती में इनके बेटे को नौकरी मिली।

अनपढ़ मृतक आश्रितों को नहीं मिलेगी नौकरी-
मृतक आश्रितों की सूची में सबसे ज्यादा नाम ड्राइवर कंडक्टर के शामिल हैं। इनके परिजन अगर अनपढ़ हैं तो मृतक आश्रित के पद पर नौकरी नहीं मिलेगी। निगम प्रशासन ने वर्ष 2000 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें अनपढ़ मृतक आश्रितों को नियमित नौकरी से बाहर कर दिया था। ऐसे मृतक आश्रितों की संख्या तकरीबन 15 सौ बताई जा रही है।

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