लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में बेहतर संभावना वाली सीटों की पहचान करने में कांग्रेस जुट गई है। पार्टी का नवगठित रिसर्च विभाग यह काम कर रहा है। अगर महागठबंधन में सहमति बनी, तो कांग्रेस पूर्व में लड़ी सीटों से इनकी अदला-बदली करेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
बिहार में मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, झंझारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय एवं खगड़िया ऐसी कुछ सीटें हैं, जिसके सामाजिक समीकरण कांग्रेस को सूट करते हैं। कांग्रेस ने पिछली बार इनमें से किशनगंज, पूर्णिया एवं समस्तीपुर में ही अपने प्रत्याशी उतारे थे। इन 11 सीटों में से केवल कटिहार एवं किशनगंज महागठबंधन की सीटिंग सीटें हैं।
सीमांचल पर भी खास नजर
हालांकि किशनगंज से सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौलाना असरारूल हक का निधन हो चुका है, जबकि कटिहार से राकांपा के टिकट पर चुनाव जीते तारिक अनवर अब कांग्रेस में हैं। तारिक अनवर को बिहार की राजनीति में एक कद्दावर अल्पसंख्यक चेहरा माना जाता है। सीमांचल में उनकी अच्छी पकड़ है। इतना ही नहीं, सीमांचल की चार सीटों कटिहार, अररिया, पूर्णिया एवं किशनगंज मुख्य रूप से अल्पसंख्यक बहुल हैं। राजद सांसद मो. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद सीमांचल की राजनीति में तारिक अनवर और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
रिसर्च विभाग कर रहा है आकलन
रिसर्च विभाग के अध्यक्ष आनंद माधव ने कहा कि पिछली बार लड़ी 12 सीटों के अलावा भी कुछ और सीटों का विस्तृत डाटा इकट्ठा किया जाएगा। ‘विनिबिलिटी फैक्टर’ के आधार पर हम अपनी पसंदीदा सीटें चिह्नित करेंगे और अपनी अनुशंसा आला कमान को सौंपेंगे। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की मंशा है कि सभी घटक दल एक-दूसरे के लिए पहले से बेहतर वोट ट्रांसफर कर सकें। यह तभी मुमकिन है जब सीटों का चयन हर पहलु को मद्देनजर किया जाए।
2014 में ये सीटें थी कांग्रेस के कोटे में
1. सासाराम 2. किशनगंज 3. औरंगाबाद 4. सुपौल 5. हाजीपुर 6. पूर्णिया 7. पटना साहिब 8. नालंदा 9. समस्तीपुर 10. गोपालगंज 11. मुजफ्फरपुर 12. वाल्मिकीनगर